वक्त के दोहे योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ बीजगणित-सी ज़िंदगी, हर दिन जटिल प्रमेय। बस तनाव-संघर्ष ही, जिसमें रहे अजेय॥ मन के आंगन में जगे, महके-महके सत्र। समय-डाकिया दे गया, जब यादों के पत्र॥ चाहे हंसी-मजाक हो, या गम्भीर बयान। काली-उजली सोच का, भाषा ही... Brij Mohan Tiwari 05 Jul 2025