यश गोयल
क्या मनुष्य स्वार्थी होता है? क्या वह लालची भी होता है और जाने-अनजाने में अपने को संतुष्ट करने के लिये पाप/ गलती भी कर बैठता है? ऐसे कई जरूरी प्रश्न मानव के स्वत:फूर्त स्वभाव को बताने के लिये यूरोप के एक इतिहासकार रुत्खेर ब्रेख्मान ने अंग्रेजी में एक अति रोचक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था ‘ह्यूमनकाइंड : ए होपफुल हिस्ट्री’। इसका हिंदी अनुवाद ‘ह्यूमनकाइंड : मानव जाति का आशावादी इतिहास’ साहित्य आलोचक और अनुवादक मदन सोनी ने किया है।
पुस्तक के फ्लैप और अग्रिम पृष्ठ पर इक्कीस महान साहित्यकारों और नामचीन लोगों की विशेष टिप्पणियां हैं जो किसी भी लेखक की लेखकीय क्षमता और सृजन को रेखांकित करते हैं।
रुत्खेर ब्रेख्मान को यूटोपिया फार रियलिस्ट्स के बेस्ट सेलिंग लेखक की उपमा भी सभी प्रशंसकों ने दी है। इस विदेशी इतिहासकार ने दुनिया के कुछ सर्वाधिक प्रसिद्ध अध्ययनों को आधार मानकर और उन्हें नये सिरे से संयोजित कर मानव-इतिहास के बारे में एक नया परिप्रेक्ष्य उपलब्ध कराया है।
‘वास्तविक जीवन के लॉर्ड ऑफ द फ्लाइज से लेकर ब्लिट्ज के बाद सामने आये सहयोग तक, स्टेन्फोर्ड प्रिजन एक्सपेरिमेंट की छिपी हुई गड़बड़ियों से लेकर किटी जेनोवीस की हत्या के सच्चे किस्से तक, ब्रेख्मान साबित करते हैं कि किस तरह मानवीय दयालुता और परोकार हमारे सोचने के ढंग को बदल सकते हैं। और हमारे समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने की भूमिका निभा सकते हैं। यह मानव-स्वभाव के बारे में नया दृष्टिकोण अपनाने का समय है।’ लेखक ने इसे भली-भांति स्थापित किया है ।
ह्यूमनकाइंड एक नया तर्क प्रस्तुत करती है : यह मानना कि लोग भले होते हैं, व्यावहारिक होने के साथ-साथ क्रांतिकारी भी है। प्रतिस्पर्धा करने के बजाय सहयोग करने की, अविश्वास करने की बजाय भरोसा करने की प्रवृत्ति का आधार हमारी प्रजाति के आरंभ से ही हमारी विकास-प्रक्रिया में मौजूद रहा है। दूसरों को उनके निकृष्टतम रूप में देखना न सिर्फ दूसरों के प्रति हमारे रुख को, बल्कि हमारी राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है।
इस किताब के सार को समझना है तो रशियन लेखक अंतोन चेखोव (1860-1904) का ये वाक्य बहुत महत्वपूर्ण है : ‘मनुष्य उस समय बेहतर हो जायेगा, जब आप उसे बतायेंगे कि वह किस तरह का है।’ इसे पढ़ने के बाद इस भ्रम में नहीं रह सकते कि मनुष्य का स्वभाव कब स्वार्थपरक और मतलबी हो जाता है? अनुवादक मदन सोनी का इस किताब को बेहतर प्रस्तुत करने में बड़ा योगदान है कि उन्होंने बहुत सूक्ष्मता से साहित्य की अंग्रेजी से सरल और पठनीय हिंदी भाषा में अनुवाद किया।
पुस्तक : ह्यूमनकाइंड : मानव जाति का आशावादी इतिहास लेखक : रुत्ख़ेर ब्रेख़्मान हिंदी अनुवाद : मदन सोनी प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस, भोपाल पृष्ठ : 384 मूल्य : रु. 499.