मांएं—
हमारे हर दु:ख/हर सुख
हर तकलीफ को जानती हैं
जैसे नदियां जानती हैं
मछलियों की बेचैनी
हर्ष और उल्लास
बस हम ही भूल जाते हैं मांओं को
जिनकी सांसों की संजीवनी
हमें उतप्त रक्त के शाश्वत प्रवाह से
निरंतर गतिमान रखती हैं।
मांएं पेड़ों की तरह होती हैं
बल्कि पेड़ ही होती हैं छायादार/साक्षात्
पेड़ की छाल उतारकर देखेंगे जब आप
तो मांओं और पेड़ों का गोत्र एक ही पायेंगे
मांएं—
अपनी सारी ऊर्जा देकर
हमें मौसम की हर ज्यादती के खिलाफ
लड़ना सिखाती हैं
ज़िंदगी के कैलेंडर में
जब कोई रेखा विपरीत खिंची दिखती है
तो अपनी आशीष से
उसका दिशा संधान करती हैं।
और जब मांएं
कुछ नहीं करतीं
तो सूखे पेड़ की खोखल बनी
मौत का इंतजार करती है
घर की ढहती दीवारें
उन्हें देखती रहती हैं चुपचाप/और सोचती हैं
कहां चले गये वे पांव
जिन्हें ठुमुक-ठुमुक कर
इन्होंने एक दिन
चलना सिखाया था
और अक्षांशों के पार जो बसे हैं देश
उनका पता बताया था
मांएं—
धरती का भूगोल भी हैं
और इतिहास भी
आरंभ भी हैं/ और अंत भी
मैं सोचता हूं कि
यदि मौत का इंतजार करती मांएं
अपनी संततियों को
दुआओं से सींचना बंद कर दें
तो फिर—
धरती के भावी इतिहास का क्या बनेगा?
मांएं—
हमारे हर दु:ख/हर सुख का जानती हैं
जैसे नदियां जानती हैं
मछलियों की बेचैनी
हर्ष और उल्लास!