केवल तिवारी
उत्तराखण्ड की सुरम्य वादियों में अनेक ऐसे वीर योद्धा, कुशल रणनीतिकार और शासक हुए हैं जिनके जीवन की तमाम घटनाएं हम सबके लिए प्रेरणास्रोत बन सकती हैं। देश, काल और परिस्थिति के हिसाब से कब क्या कदम उठाना चाहिए, इसकी सीख ऐसे लोगों के जीवन से ली जा सकती हैं, लेकिन अफसोस इस बात का है कि ऐसे महान लोगों के जीवन की गतिविधियों का दस्तावेजीकरण नहीं हो पाया, बस कुछ स्रोतों से ही थोड़ी-सी जानकारी उपलब्ध है। यह अच्छी बात है कि इनमें से कुछ के बारे में सामग्री जुटाने का काम संस्थागत तरीके से हो रहा है। ऐसे ही एक नायक हैं पुरिया नैथाणी जिन्हें वीर पुरिया के नाम से जाना जाता है। पूर्व सैनिक एवं ऐतिहासिक चरित्रों पर काम करने वाले निर्मल प्रकाश नैथानी ने इसी नायक पर किताब लिखी है जिसका नाम है, ‘वीर पुरिया-उत्तराखंड का एक विस्मृत योद्धा।’ लेखक निर्मल प्रकाश उस ट्रस्ट (पुरिया नैथाणी सेवा ट्रस्ट) के अध्यक्ष भी हैं जो वीर पुरिया की याद में कुछ करने के लिए कृत संकल्प है।
किताब ‘वीर पुरिया-उत्तराखंड का एक विस्मृत योद्धा’ एक लघु शोध सरीखा है। लेखक ने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को सबके सामने रखा है। मसलन, औरंगजेब के दरबार में वीर पुरिया ने कितने खूबसूरत तरीके से राजा की बात रखी। इसी तरह पुरिया जी के संबंध में प्रचलित लोकगीत। इसके साथ ही पुरिया नैथाणी पर चल रहे कार्यक्रमों की तस्वीरें। छोटी-सी किताब दो खंडों में है। पहले में लेखक के उस सफर का जिक्र किया गया है जो उन्होंने जानकारी जुटाने के लिए किया और दूसरे में पुरिया नैथाणी का जीवनवृत्त। यह भी विडंबना है कि एक समय बाद उनके जीवन का पता ही नहीं चलता। लेखक की मुहिम रंग लाई तो इस वीर योद्धा पर विस्तृत और रोचक पुस्तक एवं अन्य दस्तावेजी संस्करण तैयार हो सकता है।
पुस्तक : वीर पुरिया-उत्तराखण्ड का एक विस्मृत योद्धा लेखक : निर्मल प्रकाश नैथानी प्रकाशक : उत्तरजन प्रकाशक, देहरादून पृष्ठ : 70 मूल्य : रु. 200.