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सपनों का मतलब

कविताएं

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सपनों का मतलब

यह कदापि नहीं,

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कि उन्हें

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मरने दें, यूं ही

और हम

निष्क्रियता की गह्वर में जा गिरें

और गिरे रहें;

हमें पहाड़ की तरह उठना होगा

और नदी की तरह

बहना होगा,

समुद्र की तरह गरजना होगा,

चाकू की धार बनकर

भेद-विभेद की शिराओं को

काटना होगा,

रोकना होगा

नफरत की आंधी को,

विस्फारित आंखों से

यह मानकर उड़ो

कि सपने आपके पंख हैं,

और आपकी दुनिया,

अपने ही पैरों से यह मानकर चलो

कि सपनों और सच

के बीच की दूरी

मात्र

पलक झपकने की दूरी है,

कहने और सुनने की है।

कविता में

कविता में

कहां नहीं होता हूं,

अक्षर में,

शब्द में,

वाक्य में,

पंक्ति में,

पसरा ही तो होता हूं—

भाषा में,

भाषा को मोड़ता हूं

तोड़ता हूं,

जंगल उगाता हूं,

मैदान बनाता हूं,

पहाड़ तक पहुंचता हूं,

नदियों में बहता हूं,

धूप को निचोड़ता हूं,

हवा को उलीकता हूं,

कविता में कहां नहीं होता हूं।

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