Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

लोक संस्कृति के जीवंत अहसास

पुस्तक समीक्षा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

अश्वनी शांडिल्य

किसी भी प्रदेश की लोक संस्कृति जब लोक-साहित्य का अंग बनती है तो वह उसे समृद्ध कर देती है। ‘अंदाज हरियाणे का’ राजबीर वर्मा द्वारा रचित हरियाणवी लघुकथा-संग्रह है। इसमें विभिन्न घटनाओं से संबद्ध विषयों के साथ-साथ हरियाणा की ग्रामीण संस्कृति के परिवेश के व्यावहारिक-सामाजिक रंगों की झांकियां भी चित्रित हैं। इस पुस्तक में लेखक की 103 रचनाएं संकलित हैं। अधिकतर रचनाएं लघुकथा के शिल्प से विमुख होते हुए भी विषय-विविधता की दृष्टि से कुछ रचनाएं उल्लेखनीय हैं।

Advertisement

उपदेशात्मकता की शैली को आत्मसात‍् करके लिखी गई इन रचनाओं में स्वस्थ जीवन के मार्ग को प्रकाशित करने का प्रयास स्पष्टतः दिखाई देता है। ‘रोला नमक का’ रचना में संतान द्वारा उपेक्षित माता-पिता के दर्द का चित्रण है। ‘भविष्य बाकी’ में नशे के दुष्परिणाम व कर्म तथा ईमानदारी के महत्व को दिखाया गया है।

Advertisement

अंधविश्वासों के चक्कर में आने पर व्यक्ति की स्थिति, नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी का खेल, समाज में बढ़ते अपराध, उदारता में ही मानवता के सच्चे सुख की सार्थकता, लिंग-भेद की समस्या, बिजली-पानी का दुरुपयोग, व्यक्ति का शोषण तथा सरकारी तंत्र में कर्तव्यविमुखता व स्वार्थी प्रवृत्ति पर भी लेखक ने अपनी कलम से सुन्दर व्यंग्य किया है। इस संग्रह की रचनाओं में डर, मित्रता, सुख का सांस, खतरनाक चोर, कहां होगी बराबरी, सच्चा सुख, मतलब, बड़े की शर्म, कसूर आदि पाठक को जीने की कला का सार्थक संदेश देती हैं। रचनाओं के शीर्षक की सार्थकता, कथ्य की रोचकता व मार्मिक अन्त के अभाव के बावजूद यह संग्रह पाठक को हरियाणवी बोली के शब्द-भण्डार, संस्कृति, व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार तथा प्रादेशिक अंदाज को सामने लाने में सक्षम है।

पुस्तक : अंदाज हरियाणे का लेखक : राजबीर वर्मा प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली पृष्ठ : 127 मूल्य : रु. 250.

Advertisement
×