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कई बातों की संगम सरीखी

पुस्तक समीक्षा

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केवल तिवारी

साहित्य सृजन एवं समाज सेवा के साथ-साथ अपनी जड़ों की ओर ध्यान देते रहना कोई साधारण काम नहीं। क्योंकि सभी कामों को एक साथ साधने में निरंतर ऊर्जावान बने रहना पड़ता है। कवि एवं लेखक डॉ. विष्णु पाण्डेय इसी तरह की साधना में लगे रहते हैं और अपने साहित्य कर्म के जारी पड़ाव में उन्होंने ‘भावांजलि’ का तीसरा भाग हाल ही में प्रकाशित किया है।

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‘भावांजलि भाग तीन (विविधा)’ पुस्तक चार भागों में है। पहले भाग में उत्तराखंड की नैसर्गिक सौंदर्यता, धार्मिक महत्व, यहां के रमणीय स्थल की गद्य शैली में जानकारी दी गयी है। भाग दो में उत्तराखंड के वीर सपूतों को काव्यात्मक श्रद्धांजलि दी गयी है। एक झलक देखिए- ‘गढ़देश के वीरों की गाथा, गायेगा अपना देश महान। ‘पेशावर’ के हीरो ‘चंद्र’ तो ‘नेफा’ के ‘जसवंत’ महान। ‘अनुसूया प्रसाद गौड़’ से, महावीर चक्र शोभित। ‘कुंवरसिंह’ नेगी से जाने, ‘आयल’ गांव हुआ सुशोभित।’

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भाग दो विस्तृत है, जानकारीपरक है और दोहों के रूप में भारत के सपूतों की गाथा को बताने की अच्छी कोशिश की गयी है। तीसरे भाग में बच्चों के लिए बहुत कुछ है। शिष्टाचार की बात हो, नैतिक पाठ हो, संस्कारों की बात हो या फिर प्रेरक कहानियां, इसमें मिश्रित चीजों को शामिल करने का अभिनव प्रयोग किया गया है।

भाग चार में उन विभूतियों को नमन किया गया है जिन्होंने धार्मिक मान्यताओं को स्थापित किया और दूसरों के लिए मानक तय किए। यह पुस्तक स्मारिका के तौर पर है। कई बातों की संगम सरीखी है।

पुस्तक : भावांजलि भाग तीन (विविधा) लेखक : डॉ. विष्णु पाण्डेय प्रकाशिका : निर्मला एवं सावित्री पाण्डेय पृष्ठ : 107 मूल्य : सप्रेम भेंट

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