जीतेंद्र अवस्थी
बाल साहित्य लिखना बच्चों का खेल कतई नहीं। इसके लिए बाल मनोविज्ञान की गहरी पैठ अनिवार्य है। जो यह समझते हैं परियों के किस्से अथवा दादी-नानी से सुनी कथाओं को जस का तस छोटी उम्र के पाठकों के समक्ष परोस दिया जाए तो वे गफलत में हैं। नामी लेखक प्रकाश मनु अपने लेखन से यही तो साबित करते आए हैं। उनके अनुसार बच्चों के लिए लिखते समय उसी दबाव या रचनात्मक तनाव से गुजरना पड़ता है। ‘बच्चे मेरे गुरु भी हैं, ईश्वर भी। बच्चों के लिए कुछ भी लिखना हो तो मैं उसमें अपना दिल, अपनी आंखें पिरोता हूं। बच्चों और बचपन वह पूरी निश्छलता के साथ प्यार किए बिना बच्चों के लिए कुछ भी नहीं लिखा जा सकता।’ प्रकाश मनु के यह अनुभव रचनाकारों को रास्ता दिखा सकते हैं।
‘किस्सा चमचम परी और गुड़ियाघर का’ पुस्तक में मनु जी के तीन उपन्यास समाहित हैं। पहले उपन्यास के नाम पर ही पुस्तक का शीर्षक लिया गया है। दो अन्य उपन्यास ‘फागुन गांव का बुधना और निम्मा परी’ व ‘सब्जियों का मेला’ हैं। यह तीनों रचनाएं लीक से अलग और अपने आप में विशिष्ट लेखन की मानसिकता से की गई साधना के फल हैं।
पहले दो उपन्यास में कल्पना के घोड़ों ने खूब दौड़ लगाई है। ‘किस्सा चमचम परी…’ मुख्य पात्र नीला परीक्षा के बाद घूमने निकलती है तो उसे चांदनी चौक के पार्क में परी चमचम मिलती है। चमचम परी लोक से इस संसार में आई है। अपनी जानकारी और भी बढ़ाने के लिए वह नीला के साथ घूमने चल पड़ती है। उसे लगता है कि पृथ्वी पर बहुत मोहब्बत करुणा और हमदर्दी है। परी लोक में रहने वाले तो प्रेम की उदात्त भावना से परिचित ही नहीं हैं। धरती पर बेशक बेपनाह पीड़ा है लेकिन प्यार सहानुभूति और करुणा जैसी अनेक भावनाएं भी यहां हैं, जिनकी कीमत कोई नहीं चुका सकता। चमचम को वापस परी लोक जाते हुए लगता है कि उसका मन तो धरती पर ही रह गया।
‘फागुन गांव का बुधना और निम्मा परी’ कल्पना का ऐसा लोक है, जिसमें ग्रामीण जीवन के यथार्थ का बेहतरीन चित्रण है। परी निम्मा को यह धरती अच्छी लगती है और इसके लोग भले-भले। इसीलिए वह पृथ्वी पर उतरती है और यहां श्रमजीवी बुधना उसे भा जाता है। यह परी कथाएं परियों के किस्सों से हटकर हैं। इनमें परियों का जादुई लोक नहीं है। यह परियां जादुई व्यवहार वाली कतई नहीं है बल्कि इसी धरती की आम महिला हैं और वैसा ही उनका कार्य है।
‘सब्जियों का मेला’ में विभिन्न सब्जियों के मानवीकरण का सजीव वातावरण प्रस्तुत है। सब्जियों के हलचल भरे जीवन से पाठक प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। प्रेम, प्यार, नफरत, नाराजगी, गुस्सा, ईर्ष्या और तिकड़मबाजी आदि मानवीय गुण सब्जियों के माध्यम से पेश किए गए हैं। पिंकी अभिव्यक्ति लेखक की सामर्थ्य व कल्पनाशीलता की मिसाल है। इसी तरह परंपरागत परियों से हटकर कहानियां गढ़ना सामान्य प्रयास नहीं।
पुस्तक : किस्सा चमचम परी और गुड़ियाघर का लेखक : प्रकाश मनु प्रकाशक : चिल्ड्रन बुक टेंपल, दिल्ली पृष्ठ : 175 मूल्य : रु. 350.