समाचारपत्रों व आकाशवाणी-दूरदर्शन को पढ़ने-सुनने और देखने वाले लाखों लोग होते हैं। लेकिन समाचार, फीचर, लेख तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों पर प्रतिक्रिया देने वाले चुनींदा लोग ही होते हैं। वे रचनाएं और कार्यक्रम देखते हैं, उनका चिंतन करते हैं और अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। समीक्ष्य कृति ‘आकाशवाणी को पत्र’ में शिक्षक व साहित्यकार विजयपाल सेहलंगिया ने आकाशवाणी तथा दैनिक ट्रिब्यून व अन्य समाचार पत्रों को लिखे गए पत्रों का विस्तृत विवरण संकलित किया है।
पुस्तक : आकाशवाणी को पत्र रचनाकार : विजयपाल सेहलंगिया प्रकाशक : आनन्द कला मंच पब्लिकेशन, भिवानी पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 300.
पहेलियों से दिमागी कसरत
शिक्षिका-साहित्यकार कृष्णलता यादव की समीक्ष्य कृति ‘बूझ पहेली बूझ’ में बच्चों और अन्य पाठकों के लिए 214 पहेलियां संकलित हैं। निस्संदेह, बच्चों के बुद्धि विकास में पहेलियों की बड़ी भूमिका रही है। एक ओर जहां उनकी दिमागी कसरत होती है, वहीं व्यावहारिक ज्ञान में भी वृद्धि होती है। इससे उन्हें अपनी तर्क शक्ति बढ़ाने का मौका मिलता है, साथ ही दिमाग की भी कसरत होती है। निस्संदेह, यह पुस्तक बाल पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
पुस्तक : बूझ पहेली बूझ रचनाकार : कृष्णलता यादव प्रकाशक : आनन्द कला मंच पब्लिकेशन, भिवानी पृष्ठ : 82 मूल्य : रु. 200.
प्रकृति के समृद्धि के बिंब
बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी, शिक्षिका और साहित्यकार डॉ. अंजना रानी गर्ग के दो लघुकथा संग्रह ‘अमलतास के फूल’ और ‘मोमबत्ती का क्रंदन’ के बाद लघुकविता संग्रह ‘वनमाला के फूल’ आया है। इस संकलन में 101 लघुकविताएं संकलित हैं। कविता का मूल स्वर प्रकृति के मौन से सार्थक संवाद है। वे संवेदनशील ढंग से अभिव्यक्ति देती हैं और जीवन मूल्यों, संस्कारों तथा समय के सवालों पर मंथन करते हुए पाठकों से संवाद करने का प्रयास करती हैं।
पुस्तक : वनमाला के फूल रचनाकार : डॉ. अंजना रानी गर्ग प्रकाशक : विपिन पब्लिकेशन, रोहतक पृष्ठ : 101 मूल्य : रु. 300.
श्रमसाध्य सफर का मुसाफिर
शिक्षाविद् डॉ. एस.पी. बंसल द्वारा लिखित पुस्तक ‘मुसाफिर न थका, न हारा’ जीवन के संघर्षों से सफलता के मुकाम हासिल करने की कहानी है। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो स्वाभिमान, परिश्रम और स्वावलंबन से जीवन के लक्ष्य हासिल करता है। वह महज सपने नहीं देखता, बल्कि योजना बनाकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है। एक शिक्षक के रूप में वे समाज में मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते हैं और गीता अभियान को मूर्त रूप देते हैं।
पुस्तक : मुसाफिर न थका, न हारा रचनाकार : ए.पी.बंसल प्रकाशक : यूनिक पब्लिशर्स, भारत पृष्ठ : 118 मूल्य : रु. 300.
महकती बहुरंगी मोहक क्यारी
कच्ची माटी, माला के मोती और रंग रंगीली धारा जैसे काव्य संकलनों के बाद रचनाकार जगदीश श्योराण पाठकों के लिए नया काव्य-संग्रह ‘कंचन क्यारी’ लेकर आए हैं। संकलन में बहुरंगी 72 रचनाएं रंग बिखेर रही हैं। इन रचनाओं में आम आदमी की टीस, उद्वेलित करती घटनाएं, नारी संघर्ष, किसान के कष्ट, देशभक्ति, गरीबों का संघर्ष, महंगाई, पर्यावरण-मौसम, सरकार, इंसानियत और गरीबी के हृदयस्पर्शी चित्र उभरते हैं। रचनाओं में समय के सवाल भी हैं।
पुस्तक : कंचन क्यारी रचनाकार : जगदीश श्योराण प्रकाशक : बीएफसी पब्लिकेशनस्, लखनऊ पृष्ठ : 139 मूल्य : रु. 318.

