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बाल पाठकों के लिए सीख

पुस्तक समीक्षा
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कविता संघाइक

बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा की कहानियों का संग्रह है ‘ऐसे मिली सीख’। 12 कहानियों के जरिये रचनाकार ने बाल-पाठकों को अलग-अलग सीख देने की कोशिश की है। रचनाकार की कृति में बाल सुलभ मन को सुहाती पहली कहानी है ‘ऐसे मिली सीख’। कहानी कहती है कि जहां से भी सीख मिले, छोटे-बड़े का भेद न कर ले लेनी चाहिये। पेड़ पौधे, पशु-पक्षी, बच्चों, हर एक प्राणी या जीव से हम कुछ न कुछ सीख ले सकते हैं।

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दूसरी कहानी है ‘बूंदों का सफर’। कहानी जन्मभूमि से मोह और स्नेह का संदेश देती है। कोमल बालमन में आज तकनीक और तरक्की जो प्रतिस्पर्धा भर रही है, उससे वे संवेदनहीन बनते जा रहे हैं, कम उम्र में ही चिंता और तनाग्रस्त हो रहे हैं। बाल कहानी ‘पेंसिल और इरेजर’ सीख देती है कि अपना लक्ष्य कभी न भूलें। बड़े भाई की देन, बाबा की ममता और दोस्ती जिंदाबाद हमें संवेदनशील बने रहने को प्रेरित करती है। सच्ची दोस्ती किस तरह की जाती है, उसकी सीख देती है। देश की विरासतों के प्रति गौरवान्वित महसूस करवाने की कहानी है ‘हमारा गौरव’।

प्रतियोगी दुनिया से दूर रहने वाली एक बहादुर बिटिया से प्रेरणा लेने की कहानी है ‘जल की रानी’ जबकि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और रोबोटिक वर्ल्ड की दुनिया में गुम हो रहे अपनेपन को खोजती कहानी है ‘रोबू मेरा दोस्त’। बुद्धि और बल में कितना फर्क है यह सीख देती है कहानी ‘दोस्ती शेर चिड़िया की। ऐसे ही ‘सोने के अंडे’ बालकहानी में चतुर बनने और चोरी न करने की सीख है। सरल भाषा में सभी रचनाओं के जरिये बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा ने बाल पाठकों को बहुत सरलता और रोचकता के साथ समझाने की कोशिश की है।

पुस्तक : ऐसे मिली सीख रचनाकार : गोविंद शर्मा प्रकाशक : पंचशील प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 46 मूल्य : रु. 150.

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