वह बजा,
तो कहा मैंने,
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तुम संगीत हो।
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वह फिर बजा,
तो कहा,
तुम हारमोनियम की
सरगम हो।
वह फिर बजा,
तो कहना पड़ा,
अब कुछ ऐसा सुनाओ,
जो भोर का साथी हो जाए।
वह फिर फिर बजा,
तो कहा मैंने,
अब कुछ नहीं कहना मुझे,
बजते रहो, बजते रहो।
बुला लेना,
जब थक जाओ।
आना तो होगा ही मुझे!
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