सुशील ‘हसरत’ नरेलवी
समीक्ष्य कृति मूलतः पंजाबी भाषा के सुप्रसिद्ध कथाकार ओम प्रकाश गासो द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास ‘मनुष्य की आंखें’ का द्वितीय संस्करण है। इसका प्रथम संस्करण सन् 1977 में प्रकाशित हुआ था। लेखक अब तक हिन्दी व पंजाबी भाषा में रचित विभिन्न विधाओं की लगभग 70 पुस्तकें साहित्य जगत को समर्पित कर चुके हैं।
समीक्ष्य उपन्यास का कथ्य पंजाब की पृष्ठभूमि में साम्प्रदायिकता व सामाजिक विसंगतियों के इर्द-गिर्द घूमता है। इस उपन्यास के केन्द्र में दो प्रसंग हैं-एक प्रेम तो दूसरा भ्रष्ट-तंत्र के विरुद्ध आन्दोलन। कथ्य, पुरोहित व राजनेता जानकीदास के घर पांच लड़कियों के बाद जन्मे पुत्र नायक श्रीकान्त से प्रारम्भ होकर नायिका स्वर्ण व पात्र चरण के जन आंदोलन पर समाप्त होता है। नेता किरपाल सिंह मलेशिया की पुत्री स्वर्ण का पहला प्यार सुन्दर व मधुर-कण्ठा श्रीकान्त रहता है किन्तु वह स्वर्ण को ठुकरा देती है। फिर हालात से बेज़ार हुई स्वर्ण का दिल जुझारू पात्र चरण से जा लगता है परन्तु वह इसे भी न पा सकी। अन्ततः व्यथित मन लिए स्वर्ण प्रो. राय से शादी कर लेती है। इकलौते व लाडले पुत्र श्रीकान्त का बिगड़ना, पिता से नफ़रत करना, घर त्यागकर राजन, राजन की मां व पिता ‘शरण दास, चरण व स्वर्ण के सम्पर्क में आना, और फिर घर-वापसी पर पिता के दबाव में आकर आधुनिक-मना अमीरज़ादी कमल से शादी रचाना, कहानी में पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर कई मोड़ लेकर आता है। अन्त में संघर्ष व अंतर्द्वंद्व की ज्वाला में झुलसते पात्रों स्वर्ण तथा चरण का आन्दोलन की फुहारों में सुकून तलाशना नये राजनैतिक समीकरण स्थापित कर जाता है। सामाजिक धरातल पर कथ्य मानवीय संवेदनाओं को झंकृत करता है तो राजनैतिक स्तर पर भ्रष्ट-तंत्र तथा कुव्यवस्था के विरुद्ध पात्र चरण व स्वर्ण के माध्यम से जन-जागरण की ओर अग्रसर होता है।
उपन्यास की ‘शुरुआत में घटनाक्रम तेज़ी से आगे बढ़ता है और कथा योजन की दृष्टि से रोचकता व आनन्द की अनुभूति कराते हुए पाठक-मन को बांधे रखता है। उपन्यास लगभग 35 पात्रों के कान्धों पर सवार होकर अपनी यात्रा करता है। इसमें अंकित पात्रों का मनोहर चरित्र-चित्रण पाठक-हृदय पर पात्र को जीवन्त करने में सक्षम है। वातावरण का चित्रण भी रमणीक बन पड़ा है। पाठक-मन में कुछ पात्रों के प्रति सहानुभूति भी जागृत होती है। वर्णात्मक शैली में 27 अध्यायों में गढ़ा गया यह उपन्यास कथा योजन की दृष्टि से रोचकता, उत्सुकता व जिज्ञासा बनाये रखता है।
पुस्तक : मनुष्य की आंखें लेखक : ओम प्रकाश गासो प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, नयी दिल्ली पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 125.