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करिशमाई सिनेकला की त्रिवेणी के दिलचस्प किस्से-कहानियां

पुस्तक समीक्षा

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साउथ एशिया सिनेमा फ़ाउंडेशन, लंदन की नई पुस्तक ‘ए बायोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़ मर्चेन्ट आइवरी फ़िल्मवालाज़’ (मर्चेन्ट आइवरी फ़िल्म वालों का जीवनी कोश) उन 59 कलाकारों की जीवनियों का संकलन है, जिन्होंने मर्चेन्ट आइवरी प्रोडक्शंस की फ़ीचर फ़िल्मों और वृत्तचित्रों में काम किया। इस फ़िल्म कंपनी की स्थापना अमेरिकी फ़िल्म निर्देशक जेम्स आइवरी और भारतीय फ़िल्म प्रोड्यूसर और निर्देशक इस्माइल मर्चेन्ट ने मिलकर दिल्ली में 1961 में की थी, जिसमें उसी साल ब्रिटिश उपन्यासकार और पटकथा लेखिका रूथ प्रवर झाबवाला भी शामिल हो गई थीं। इस कंपनी ने अपने 44 वर्षों में ‘शेक्सपीयरवाला’, ‘हीट एंड डस्ट’, ‘ए रूम विद ए व्यू’, ‘हॉवर्ड्स एंड’ और ‘द रिमेन्स ऑफ़ द डे’ जैसी 44 यादगार फ़िल्में बनाकर दुनिया की सबसे लंबी और सफल फ़िल्म साझेदारी का कीर्तिमान स्थापित किया।

पुस्तक के लेखकों, इतिहासकार डॉ. कुसुम पंत जोशी और फ़िल्म समीक्षक ललित मोहन जोशी के अनुसार, मर्चेन्ट आइवरी ने पश्चिमी सिने-जगत की प्रतिभाओं के साथ-साथ भारतीय सिनेमा की लोकप्रिय और नई धारा की प्रतिभाओं का भी प्रयोग करते हुए एक अनूठी शैली के सिनेमा का सृजन किया, जो भारत, ब्रिटेन और अमेरिका की सिनेकला की त्रिवेणी जैसा था।

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इस पुस्तक की असली ख़ूबी मर्चेन्ट आइवरी फ़िल्मों से जुड़े इन कलाकारों की जीवनियां नहीं हैं। इसकी विशेषता वे दिलचस्प किस्से-कहानियां हैं, जो इन्हें एक-दूसरे से जोड़ते हैं और सिनेमाई जादू की वह त्रिवेणी तैयार करते हैं, जिसने दर्शकों को दशकों तक मंत्रमुग्ध किए रखा। लेखकों ने इन्हें बड़ी खोज-पड़ताल और कलाकारों से जुड़े लोगों से लंबी बातचीत के बाद जुटाया है और जीवनियों में पिरो दिया है। मर्चेन्ट आइवरी प्रोडक्शंस के रचना-संसार में तीन परिवारों की प्रमुख भूमिका रही है: जेम्स आइवरी और इस्माइल मर्चेन्ट का परिवार, जिसमें बाद में रूथ प्रवर झाबवाला और रिचर्ड रॉबिन्स भी आ जुड़े थे; शेक्सपीयर की घुमंतु रंगमंडली चलाने वाले ब्रिटिश रंगकर्मी जेफ़री केंडल और उनकी पत्नी लौरा लिडल का परिवार, जिसमें उनकी दोनों बेटियां जेनिफ़र और फ़िलिसिटी के साथ-साथ जेनिफ़र से शादी हो जाने के बाद शशि कपूर और उनका पृथ्वी थिएटर परिवार भी शामिल हो गया था; और जाफ़री परिवार, जिसमें सईद जाफ़री के साथ-साथ उनकी दोनों पत्नियां, मधुर और जेनिफ़र भी शामिल रहीं। पुस्तक के 175 पृष्ठों का लगभग एक-तिहाई इन्हीं तीनों परिवारों के सदस्यों की जीवनियों को समर्पित है।

पुस्तक में समाहित जीवनियों के दिलचस्प प्रसंगों में मसलन, जेम्स आइवरी न्यूयॉर्क में रहते थे और इस्माइल मर्चेन्ट मुंबई में। दोनों कब, कहां और क्यों मिले? उनकी मुलाक़ात कराने में सईद और मधुर जाफ़री की क्या भूमिका रही? जेम्स और इस्माइल के बीच किस तरह के निजी रिश्ते थे? जेम्स, इस्माइल और रूथ— तीनों तीन अलग-अलग देशों और संस्कृतियों में पले होने के कारण—उनके दृष्टिकोणों में अंतर होना स्वाभाविक था। ऐसे में वे किसी प्रस्तावित फ़िल्म को लेकर अपने कलात्मक मतभेदों को कैसे दूर करते थे? पैसे और कलाकार जुटाने और शूटिंग करने का बंदोबस्त कौन करता था?

इस तरह की अनेक जिज्ञासाओं के समाधान इस पुस्तक की जीवनियों में यत्र-तत्र समाहित हैं। सामान्य कोश की जगह कथा-शैली में लिखी होने के कारण जीवनियां पढ़ने में दिलचस्प हैं।

यह पुस्तक पाठकों को मर्चेन्ट और आइवरी के सृजनात्मक संसार में उतारकर उनकी फ़िल्मों को एक नई, समग्र दृष्टि से देखने और समझने में सहायता करती है। पुस्तक में उत्तरा सुकन्या जोशी के बनाए शशि कपूर और उनकी पत्नी जेनिफ़र केंडल के रेखाचित्र भी शामिल हैं।

निश्चित ही, डॉ. कुसुम पंत जोशी और ललित मोहन जोशी की यह पुस्तक मर्चेन्ट आइवरी फ़िल्मों में हुए ब्रिटेन, भारत और अमेरिका के सिनेमा, साहित्य और संस्कृति के समागम को समझने और उसका रसास्वादन करने में सहायक होगी।

पुस्तक : ए बायोग्राफ़िकल डिक्शनरी ऑफ़ मर्चेन्ट आइवरी फ़िल्मवालाज़ प्रकाशक : साउथ एशियन सिनेमा फाउंडेशन, लंदन लेखक : कुसुम पंत जोशी, ललित मोहन जोशी पृष्ठ : 202 मूल्य : रु. 500.

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