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प्रेरणादायक और पठनीय कृति

पुस्तक समीक्षा
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विवेक शर्मा

‘आज़ादी के 75 शौर्य प्रसंग’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के भूले-बिसरे नायकों और घटनाओं को रोशनी में लाने वाली एक बेहतरीन कृति है। डॉ. राजेंद्र पटौरिया ने इस पुस्तक के माध्यम से उन 75 अद्वितीय घटनाओं और व्यक्तित्वों का परिचय कराया है, जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में खो सी गई थीं।

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पुस्तक का मुख्य उद्देश्य न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीरों और उनके बलिदानों को सामने लाना है, बल्कि नई पीढ़ी को प्रेरित करना भी है। इसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साहसिक कार्यों से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज की गौरव गाथा और जलियांवाला बाग कांड जैसे ऐतिहासिक प्रसंग शामिल हैं। इसके साथ ही, इसमें कई ऐसे अनसुने प्रसंग भी प्रस्तुत किए गए हैं, जैसे ‘साड़ी के पल्लू से तिरंगा बनाना’, जो पाठकों को भावनात्मक रूप से छूते हैं।

डॉ. पटौरिया की लेखनी सरल और प्रभावशाली है। प्रत्येक प्रसंग को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया है कि पाठक स्वतः ही उस कालखंड में खुद को महसूस करता है। हालांकि, कुछ स्थानों पर ऐतिहासिक संदर्भों और तथ्यों में गहराई की कमी महसूस होती है, जिन्हें और विस्तार से लिखा जा सकता था।

‘आज़ादी के 75 शौर्य प्रसंग’ न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का संग्रह है, बल्कि यह उन नायकों और आंदाेलनकारियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम भी है, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर यह पुस्तक प्रासंगिक और संग्रहणीय बन जाती है।

यह पुस्तक न केवल इतिहास के भूले अध्यायों को सहेजती है, बल्कि नई पीढ़ी को अपने देश के गौरवशाली अतीत से जोड़ने का माध्यम भी है। ‘आज़ादी के 75 शौर्य प्रसंग’ एक प्रेरणादायक और पठनीय कृति है।

पुस्तक : आज़ादी के 75 शौर्य प्रसंग लेखक : डॉ. राजेंद्र पटौरिया प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 164 मूल्य : रु. 300.

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