हरिमोहन
मैं युद्ध क्षेत्र से एक दूसरी ही पृथ्वी से बोल रहा हूं।
युद्ध मुझे कभी अच्छा नहीं लगा
तुम जानती हो मुझे वायलिन बजाना कितना प्रिय है।
मुझे इस समय वायलिन बजाना था
जबकि चला रहा हूं राइफल।
दाग़ रहा हूं मिसाइलें।
मुझे शांति बहुत प्रिय है
ये तुम अच्छी तरह जानती हो प्रिया।
जबकि मुझे सुनाई दे रही है
अंधेरे को चीरती
हवाई जहाजों की बर्बर गर्जना
बमों के फटने का विध्वंसक शोर
टैंकों की गुर्राती गड़गड़ाहट,
मासूम बच्चों की चीखें, स्त्रियों का चीत्कार।
मां से कहना
मुझे अपने देश से प्यार है,
लेकिन मानवता और शांति भी मुझे मेरी मां ने संस्कार में दिए हैं।
युद्ध धर्म नहीं है
हमारा धर्म अहिंसा है।
गहरे काले धुएं और आग की
लपटों को देखता,
मैं तुम्हारे करुणा भरे चेहरे को
सोते – जागते चूमता हूं मेरी जान।
आप लोग मेरे लिए प्रार्थनाएं करो,
इससे पहले दुआ करना
दुर्दांत अहंकारी दानवों के पंजों से
मानवता के
बचे रहने की।