हरिन्दर सिंह गोगना
विनय अपने ननिहाल आया हुआ था। नानी उसे बहुत प्यार करती थीं मगर उसकी बुरी आदतों से नहीं। खासकर विनय के सुबह देर से उठने पर वह खीझ जातीं और समझातीं, ‘बेटा, जल्दी उठने के बहुत फायदे हैं। इतना आलस अच्छा नहीं होता। जीवन में सफल बनने के लिए आलस को त्यागना पड़ता है समझे…? सुबह जल्दी उठने और रात को जल्दी सोने से सेहत अच्छी रहती है। दिमाग तेज काम करता है। जो लोग सूर्य उगने के उपरांत बिस्तर छोड़ते हैं वह सेहत के मामले में भी कम ही तंदुरुस्त रहते हैं।’ मगर विनय पर नानी की नसीहत का कोई असर न था। वह आदत से मजबूर था।
एक सुबह नानी ने उसे जबरदस्ती अपने साथ ही उठाया और कहा, ‘अब तुम रूठो या मुझे बुरा कहो मगर रोजाना ऐसे ही मेरे साथ सुबह जल्दी उठोगे।’ विनय को नानी पर गुस्सा आया मगर मन मसोस कर रह गया। फिर उसे तरकीब सूझी। नानी टेबल अलार्म के बजने के साथ ही उठती थी। विनय ने सोने से पहले आंख बचा कर टेबल अलार्म घड़ी की सुई एक घंटा पीछे कर दी ताकि सुबह एक घंटा देर से अलार्म बजे और वह कुछ देर और आराम से सो सके। उसकी तरकीब तो काम कर गई। मगर जब अलार्म बजा और उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि नानी तो बिस्तर में नहीं थी।
फिर विनय को और भी आश्चर्य हुआ जब उसने देखा कि नानी घर की साफ सफाई के उपरांत नहा कर अपने केश संवार रही थी।
विनय उबासी लेता हुआ नानी के करीब आया तो वह बोली, ‘विनय, अभी तुम्हारे पापा का फोन आया था। तुमने इस बार ध्यान से इम्तिहान नहीं दिए क्या…?’
‘क्यों क्या हुआ नानी…?’ विनय की आंखें एकदम खुल गईं। पापा और इम्तिहान की बात से विनय को कुछ संदेह हुआ जैसे नानी उसे कोई बुरी खबर सुनाने जा रही हो। उसका शक सही निकला। नानी ने उसे बताया कि उसके जगने से पहले उसके पापा का फोन आया था कि विनय इस वर्ष परीक्षा में फेल हो गया है।
यह सुन कर विनय रोने लगा और बोला, ‘यह कैसे हो गया नानी…? मेरा परीक्षाफल तो आज आना था। लेकिन मैंने तो अच्छे से एग्जाम दिए थे…।’ उस पल विनय को यह भी न सूझा कि परीक्षाफल इतनी सुबह कैसे आ गया?
विनय की हालत देखने वाली थी। नानी ने उसे ढांढ़स बंधाते हुए कहा, ‘घबराओ मत विनय, इस बार फेल हो गए तो क्या हुआ, अगली दफा खूब पढ़ाई करना। इस साल जी भर कर सो लो…।’ और कहते ही नानी की हंसी फूट पड़ी। ‘क्या मतलब…?’ विनय ने नानी को अचानक हंसते देखा तो हैरानी से पूछने लगा।
‘अरे तुम फेल नहीं हुए। मैंने तो जान बूझ कर कहा था।’
‘तुमने ऐसा मजाक क्यों किया नानी…?’ विनय कुछ सहज होते हुए बोला तो नानी ने कहा, ‘अगर तुम बड़ों को बेवकूफ बना सकते हो तो क्या मैं तुम्हारे साथ इतना सा मज़ाक भी नहीं कर सकती…? कल रात तुमने अलार्म घड़ी की सुई के साथ छेड़खानी की थी। मगर मुझे तो सुबह जल्दी जगने की आदत है सो अलार्म के बजने से पहले ही आंख खुल गई। अब तुम भी यह अच्छी आदत डाल ही लो।’
‘अब ऐसे गुस्से से मत देखो। दूसरों को अंधेरे में रखा तो ठीक, जब खुद को एक पल का झूठ सुनना पड़ा तो कांप उठे। चलो अब मुस्कुराओ।’ नानी ने विनय को गुदगुदी करते हुए कहा।
विनय के भी मन का डर जाता रहा। क्योंकि नानी तो मजाक कर रही थी। मगर इस मजाक के बाद उसे अहसास हुआ कि नानी जो कह रही हैं वह सही है। उसने नानी के सामने दिल से संकल्प किया कि आइंदा किसी को भी धोखा नहीं देगा और आलस छोड़ कर सुबह जल्दी उठने की आदत डालेगा। नानी को पता था कि विनय सच कह रहा है। वह एक पेन विनय की ओर बढ़ाते हुए बोली, ‘यह पेन तुम्हें उपहार दे रही हूं क्योंकि तुम अपनी बुरी आदत यहीं
छोड़ कर आज अपने मम्मी-पापा के पास लौट रहे हो।’
विनय ने पेन लेकर उसे अच्छी तरह देखा और बोला, ‘अरे नानी, इसमें तो समय देखने के लिए घड़ी भी है। मैं समझ गया…।’
‘क्या…?’ ‘यही कि तुमने यह घड़ी वाला पेन मुझे इसलिए दिया है न कि आज से मैं समय की कदर करना सीख ही लूं…।’ विनय ने आंखों में शरारत लाते मुस्कुरा कर कहा तो नानी भी उसकी बात पर मुस्कुराने लगी।
विनय मम्मी-पापा के पास लौटा तो उसमें आए परिवर्तन को देख कर उसके मम्मी-पापा खुश थे। विनय न केवल सुबह जल्दी उठने लगा बल्कि अपना बिस्तर छोड़ने के बाद उसे अच्छी तरह संवार भी देता था। नानी की नसीहत उसे याद थी।