Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

किरदारों की भीड़ में तृप्ति और संघर्ष

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

जीवन रूपी रंगमंच में न जाने कितने किरदारों का हमें सामना करना पड़ता है। हम खुद भी तो अनेक तरह का नाटक करते हैं। लेकिन जब अच्छा होने का दंभ भरने वाला भी ‘नाटकबाज़’ निकले और सचमुच एक अच्छे इंसान को ग़लत साबित करने में दुनिया लग जाए, तो क्या हो? उपन्यास ‘कबिरा सोई पीर है’ में ऐसे ही ताने-बाने की बुनावट है। लेखिका हैं प्रतिभा कटियार। अलग-अलग शीर्षक से कहानीनुमा अंदाज़ में लिखा गया यह उपन्यास एक नया प्रयोग है। हर कहानी का पूर्व और बाद की कहानी से संबंध है। हर कहानी के बाद उसके कथानक से मेल खाती एक शायरी होती है— किसी मशहूर शायर की।

उपन्यास में दर्ज कहानी की नायिका तृप्ति की धीर-गंभीरता काबिल-ए-गौर है, लेकिन आखिरकार वह भी तो इंसान ही है। ऐसी लड़की, जिसे कदम-कदम पर दंश मिलता है— सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक। शायद इसीलिए वह ज़्यादा सोचने लगी है। उधर, अनुभव बहुत कोशिश करता तो है ‘हीरो’ बनने की, लेकिन इस ‘खतरनाक’ समाज में कहां संभव है यह सब। सीमा तो जैसे आदर्श लगती है। लेकिन उसके साथ रिश्ते में भाई लगने वाले ने क्या किया? सही रिपोर्ट तो होती है क्राइम ब्यूरो की, जिनका लब्बोलुआब होता है— ‘किस पर करें यक़ीन?’

Advertisement

चलचित्र की तरह आगे बढ़ती कहानी पाठक को बांधे रखती है। पाठक की कल्पनाओं के घोड़े दौड़ते हैं, लेकिन कहानी की जिज्ञासा तब और बढ़ जाती है, जब उसकी धारा दूसरी दिशा में बह निकलती है। यह ताकीद करते हुए कि ‘अब कहां होता है ऐसा’, मत बोलिए। सिर्फ कहना आसान है कि ‘अब तो सब ठीक है।’ कहानी के पात्रों से यह भी तो साफ होता है कि हर कोई एक जैसा नहीं होता। गंगा की लहरों, रातरानी की सुगंध और फूल-पंछियों का मानवीकरण ग़ज़ब अंदाज़ में किया गया है।

एक बेहतरीन लेखक की यही पहचान है कि उसका पाठक रचना को पढ़ने पर भी तृप्त न हो। इस उपन्यास की कहानी भी खत्म होते-होते पाठक कुछ ढूंढ़ता है। सुखांत ढूंढ़ने की हमारी फ़ितरत यहां भी कुछ समझ नहीं आती—सिवा इसके कि तृप्ति फिर उठ खड़ी होगी और इस उपन्यास का दूसरा भाग भी आएगा।

पुस्तक : कबिरा सोई पीर है लेखिका : प्रतिभा कटियार प्रकाशक : लोकभारती पेपरबैक, प्रयागराज पृष्ठ : 168 मूल्य : रु. 299.

Advertisement
×