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लोक कथाओं में महक हरियाणवी संस्कृति की

सत्यवीर नाहड़िया हरियाणा का लोककथा-संसार प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है। यहां के मेवाती, बांगर, बागड़, खादर, अहीरवाल आदि क्षेत्रों की लोककथाओं में प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत तथा लोकजीवन का सार समाहित है। आलोच्य कृति ‘लोक कथाओं में बोलता...
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सत्यवीर नाहड़िया

हरियाणा का लोककथा-संसार प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है। यहां के मेवाती, बांगर, बागड़, खादर, अहीरवाल आदि क्षेत्रों की लोककथाओं में प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत तथा लोकजीवन का सार समाहित है। आलोच्य कृति ‘लोक कथाओं में बोलता हरियाणा’ से गुजरते हुए इस प्रदेश की समृद्ध अनूठी लोक संस्कृति के साथ माटी की महक को महसूस किया जा सकता है।

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लेखक राजकिशन नैन की इन 32 लोककथाओं में प्रदेश की हर क्षेत्र की लोक कथाओं का प्रतिनिधित्व है। सैकड़ों हरियाणवी लोकोक्तियों व कहावतों का प्रासंगिक प्रयोग तथा हरियाणवी की दुर्लभ व विलुप्त होती शब्दावली का हिंदी भाषियों के लिए सरलार्थ है।

हरियाणा प्रदेश के लोक में प्रचलित रही इन कथाओं की पृष्ठभूमि सामाजिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक है, जिनमें लोकजीवन तथा परम्पराओं के प्रेरक संदेश हैं। निष्ठुर हाली और बैलों की करुण कथा पर केंद्रित लोककथा तपसाली, जिद पर केंद्रित जिद्दी मनुष्य, लोभ की माया दर्शाती वरदानी परी,कमेरी नार की बहादुरी रेखांकित करती जोरावर जाटनी, रिश्तों पर आधारित भाई हो तो ऐसा, मूर्तिकार के कला-कौशल पर आधारित आदमी की भूल जैसी लोककथाओं में हरियाणवी जन के लोकमूल्यों व प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के दर्शन होते हैं।

संग्रह की कुछ लोककथाएं पौराणिक व ऐतिहासिक प्रसंगों पर केंद्रित हैं-जिनमें प्रेमकथा पर आधारित ऊषा अनिरुद्ध, महाभारत से संबंधित सोने का नेवला, शिव-पार्वती से जुड़ी गंगा-स्नान, संगीतप्रेमी राजा व पांच परियों की कथा व्रत की महिमा, स्वच्छता का संदेश देती सूर्य भगवान, लंकापति रावण से जुड़ी बेहमाता के लेख आदि उल्लेखनीय हैं।

चालाक गीदड़ व भोले ऊंट की कथा ऊंट की लुटलुटी, आलसी कौए की कारस्तानी, बंदर पर केंद्रित, तीन पतास्से, माड़ी नीयत पर आधारित एक था कचरा के माध्यम से बड़े संदेश दिए गए है। बरधा ढाई का, तथा सराध कथाएं हास्य प्रधान होने के साथ शिक्षाप्रद भी हैं। बुढ़िया की चतुराई, भूत की भलमनसी, गोचारी की बीत, त्रिया चरित्र जैसी लोककथाएं मार्मिक एवं प्रेरक हैं।

इन लोक कथाओं में ठेठ हरियाणवी शब्दों का हिंदी में सरलार्थ, हर कहानी के अंत में शिक्षाप्रद संदेश, कथानक के साथ गुंथी हरियाणवी काव्य पंक्तियां, कलात्मक आवरण आदि इस संग्रह की खूबियां हैं। यह पुस्तक शोधार्थियों, लोकसंस्कृति, लोककथा प्रेमियों व संस्कृतिकर्मियों के लिए आधार सामग्री का कार्य करेगी, इसलिए संग्रहणीय है।

पुस्तक : लोककथाओं में बोलता हरियाणा लेखक : राजकिशन नैन प्रकाशन : इंद्रप्रस्थ प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 184 मूल्य : रु. 595.

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