ओमप्रकाश कादयान
डॉ. हरीशचन्द्र झण्डई की कविता, कहानी, लघुकथा, लघुकविता संपादन विधाओं पर करीब एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘नए रास्ते, नई नज़र’ इनकी नव प्रकाशित पुस्तक है जिसमें विभिन्न विषयों, मुद्दों पर केंद्रित पिचहत्तर कविताएं संकलित हैं। इन कविताओं में कवि ने लोगों के बीच रहकर जो देखा, भोगा वो सब कविताओं में उतारा है।
लगता है कवि को मां से खास लगाव था इसलिए मां को बार-बार याद किया है : लगता है मेरा जीवन भी थक गया है/ मां मैं तुम्हारी गोद में सोना चाहता हूं/ कब लौटेगी मेरी मां गगन की छांव से।
कवि ‘बोल रहा है पक्षी’ कविता के माध्यम से स्वच्छ प्रकृति से पाठकों को जोड़ने का प्रयास करता है तो ‘आंगन की चिड़िया’ में कम होती चिड़ियाओं के प्रति संवेदना है। कविताओं में प्रदूषित होती हवा, कम होते जंगल, सूखते या खराब होते जल स्रोतों, सिकुड़ते ग्लेशियरों, छली होता मानव, के प्रति चिंता व्यक्त की है। प्राकृतिक सौंदर्य, बसंती छटा, त्योहारों के उत्सवों की बात भी की है। नदियों की धाराओं की, समुद्र की लहरों की, मेघ-घटाओं की बातें की हैं। पुस्तक शीर्षक कविता ‘अंधेरा छट जाएगा’ कविता के माध्यम से कवि ने समाज में फैले घने अंधेरे को छांटने का प्रयास किया है तो जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहने की सलाह भी दी है। कवि की इच्छा है कि मनुष्य अपनी संकुचित सोच से बाहर आकर अपने खुले विचारों की खिड़कियां खोलें ताकि मार्गदर्शन के लिए उचित रोशनी आ सके।
कवि अपनी कविताओं के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का प्रयास करता है। कवि का मानना है कि हम प्राकृतिक सौंदर्य से दूर होते जा रहे हैं इसलिए जीवन और अधिक पेचीदा हो गया है। कुछ कविताओं के जरिए समाज में फैले सन्नाटे को तोड़ने का प्रयास कवि ने किया है। कुल मिलाकर कविताएं सरल किंतु, सार्थक व रोचक हैं।
पुस्तक : नये रास्ते, नई नजर लेखक : डॉ. हरीशचंद्र झण्डई प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 200.