मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

आस्तीन का सांप

लघुकथा
Advertisement

गोविन्द भारद्वाज

‘पिताजी... ये आस्तीन के सांप कौन होते हैं?’ सपोले ने सांप से पूछा।

Advertisement

‘तुमने यह कहां सुन लिया?’ सांप ने आश्चर्य से पूछा।

‘मैं अपने बिल के बाहर निकल रहा था तो दो आदमी आपस में बात कर रहे थे... उन्होंने किसी को आस्तीन का सांप कहा...‌। पिताजी क्या हम आस्तीन के सांप हैं?’ सपोले ने पूछा।

सांप ने सपोले को समझाते हुए कहा, ‘बेटा आदमी की बातों पर मत जा... दरअसल, आस्तीन के सांप तो ये स्वयं ही होते हैं ...किंतु इनकी तो फितरत है दूसरों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की।’

‘ओह.. आई सी..।’ सपोले ने कहा।

Advertisement
Show comments