प्रेम चंद विज
पद्मश्री प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी का साहित्य जगत और अध्यापन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रो. बेदी के आठ आलोचात्मक ग्रंथ, छह काव्य संग्रह, पांच अनुदित कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें पंजाब के साहित्य को नए सोपान देने के लिए जाना जाता है।
‘उपसंहार में उपस्थित’ प्रो. बेदी का नवीनतम काव्य संग्रह है। इस संग्रह की साठ कविताओंं में जिंदगी के विविध रंग, रूप, विस्मय व अनुभवों को पाठकों के समक्ष रखा है। खुला आमंत्रण, उसकी नजर में, कुछ नहीं बिका, भाषा दिवस व फूल खिला जैसी अनेक काव्य पंखुडियां पाठक मन को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
इस काव्य संग्रह में प्रो. बेदी के लंबे अनुभवों से ओत – प्रोत सशक्त रचनाएं प्रस्तुत की गई हैं। जीवन के प्रति साक्षी रहकर अपने अंर्तमन की भावनाओं को पूरी संवेदनशीलता और सूक्षम गहराई से प्रस्तुत करना इनकी काव्य कला की प्राथमिकता प्रतीत होती है।
प्रत्येक कविता में पाठक की संवेदनाओं में पैठ बना लेती है। खुला आमंत्रण, उसकी नजर में, कुछ नहीं बिका, फूल खिला जैसी अनेक काव्य पंखुडियां बेमिसाल हैं। ‘सबद की मार’ कविता में आध्यात्यिकता का गहरा बोध होता है। संग्रह की सभी कविताएं जीवन के प्रत्येक पहलू को छू लेती हैं। भाव सहज ही अंतरंग होते हुए आत्मसात होते जाते हैं। कविताओं में जहां अनछुई सी संवेदना छलकती है। वहीं, बिछौनेे जैसे शब्द हृदय में अपनी दशा को पूरी तृप्ति देते महसूस होते हैं।
प्रो. बेदी के काव्यात्मक भाव कहीं-कहीं इतने विशाल व विराट दिखाई देते हैं कि पाठक गहरे तक प्रभावित होता है और सोचने पर विवश हो जाता है। कवि का मौलिक चिंतन, जीवन दर्शन, जीवन धारा, जीवन सिद्धांत, परोक्ष रूप में भी मिलते हैं। ‘उपसंहार’ में उपस्थित कविता में आम आदमी का जीवन और सरोकार देखने को मिलता है। यह पंक्तियां देखिए जब तुम हुए ‘उपसंहार’ में उपस्थित/ पोथी से निकला विचार बन शक्ति/जीवन का अनुभव बना दृष्टि पथ/अंत में लगा हाथ।
इन कविताओं का कला और भाव पक्ष बहुत सशक्त बन पड़ा है। कविताओं की शैली प्रौढ़ता लिए हुए है। सभी कविताएं मानवीय अनुभूतियों को द्रुत गति से व्यक्त करती दीख पड़ी हैं।
पुस्तक : उपसंहार में उपस्थित (काव्य संग्रह) कवि : प्रो हरमहेंद्र सिंह बेदी प्रकाशक : प्रीत साहित्य सदन (पंजी), लुधियाना पृष्ठ : 118 मूल्य : रु. 200.