Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

संस्कृति, संघर्ष और शांति की तलाश

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

‘आमार बांलार झूली’, दरअसल ‘बांग्लार झूली’ यानी बंगाल की थैली है, जिसमें लेखक राम मोहन राय ने अपनी पूर्व और पश्चिम बंगाल की यात्रा को संजोया है।

मन, प्राण और यहां तक कि बंगाल के महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय के नाम को आत्मसात किए हुए यह लेखक मूल रूप से हरियाणवी हैं। महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ, दिल्ली के अध्यक्ष शंकर कुमार सान्याल के पुत्र की अप्रैल, 2018 में हुई शादी के बहाने कोलकाता जाना, वहां के दर्शनीय, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थलों का भ्रमण करना, और फिर बांग्लादेश के ढाका, नोआखाली, कुमिला आदि स्थानों में जाकर वहां के महात्मा गांधी ट्रस्ट की कार्यप्रणाली का अवलोकन—इस यात्रा का मूल उद्देश्य रहा है।

Advertisement

लेखक स्वयं भी महात्मा गांधी के हरिजन सेवक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रह चुके हैं। बांग्लादेश की यात्रा में उनका नोआखाली, ढाका, कुमिला और गांधी आश्रम ट्रस्ट के अधीनस्थ गांवों का भ्रमण शामिल है। इन स्थलों के माध्यम से लेखक ने बापू के आदर्शों और चिंतन की बहती बयार का सुंदर और सजीव वर्णन किया है।

देश की आज़ादी से ठीक पहले, वर्ष 1946 में, नोआखाली में महात्मा गांधी का 4 माह 13 दिन का प्रवास — जिसमें उन्होंने सत्य, प्रेम और करुणा के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द की जो मिसाल कायम की थी —उसकी गूंज इन लेखों में स्पष्ट रूप से सुनाई देती है।

इस यात्रा से लेखक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि धर्म का राजनीति में घालमेल एक निरर्थक और विघटनकारी प्रयोग है, जो जोड़ने की नहीं, बल्कि तोड़ने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

पुस्तक : आमार बांलार झूली (यात्रा-संस्मरण) लेखक : राम मोहन राय प्रकाशक : यूनीक्रिएशन पब्लिशर्स, कुरुक्षेत्र पृष्ठ : 102 मूल्य : रु. 199.

Advertisement
×