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विचार और व्यवहार का समन्वय

पुस्तक समीक्षा
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‘श्रेष्ठ की अभिव्यक्ति हो’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि आत्मसुधार और जनसेवा की प्रेरणा देने वाली एक सहज, संक्षिप्त और प्रभावी कृति है। लेखक ओम प्रकाश धनखड़ ने इसमें अपने विचारों और जीवन-आचरण के बीच एक सशक्त सेतु निर्मित करने का प्रयास किया है। उनका मूल मंत्र ‘मेरा ज्ञान बने मेरा आचरण’ पूरी पुस्तक की आत्मा के रूप में उभरता है।

इस पुस्तक की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि पाठक इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में एक साथ पढ़ सकते हैं। साथ ही विचारों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए चित्रों, चार्ट्स और प्रतीकों का प्रयोग किया गया है, जिससे विषयवस्तु सरल, दृश्यात्मक और अधिक ग्राह्य बन जाती है। यह प्रस्तुति शैली विशेष रूप से छात्रों, युवाओं और नवप्रवर्तकों को आकर्षित करती है, जो कम शब्दों में स्पष्ट और प्रभावी संवाद को प्राथमिकता देते हैं।

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लेखक श्रेष्ठता को केवल व्यक्तिगत उपलब्धि की संकीर्ण परिभाषा में नहीं बांधते, बल्कि इसे सामाजिक दायित्व और सामूहिक उन्नति के भाव से जोड़ते हैं। उनका सूत्रवाक्य ‘गिव योर बेस्ट, टेक अदर्स बेस्ट’ नेतृत्व, सहभागिता और सीखने की संस्कृति को प्रोत्साहित करता है। पुस्तक में बार-बार इस बात पर बल दिया गया है कि जैसे तकनीकें समय के साथ अपडेट होती हैं, वैसे ही मानव व्यवहार, सोच और दृष्टिकोण को भी समयानुकूल बनाना चाहिए। इस क्रम में वे बेंजामिन फ्रैंकलिन की आत्मनिरीक्षण तालिका का उल्लेख करते हैं, जो नैतिक अनुशासन, आत्ममंथन और आत्मविकास की दिशा में मार्गदर्शक बन सकती है।

पुस्तक में लेखक की राजनीतिक और सामाजिक भूमिका के विविध पहलू भी झलकते हैं। हरियाणा के कृषि मंत्री और भारतीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने एमएसपी सुधार, फसल बीमा योजना, गौसंवर्धन, शिक्षित पंचायतें, ग्राम गौरव पट्ट और सैनिक रैलियों जैसी अनेक पहलों के माध्यम से अपने विचारों को व्यवहार में ढालने का सफल प्रयास किया है। वे दिखाते हैं कि कैसे नीति निर्माण और जनहित का कार्य भी एक श्रेष्ठ विचार का व्यावहारिक विस्तार हो सकता है।

राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद जीवन-दर्शन, नेतृत्व और अध्यात्म पर आधारित यह पुस्तक लिखना लेखक की गहरी चिंतनशीलता और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ‘श्रेष्ठ की अभिव्यक्ति हो’ उन पाठकों के लिए विशेष रूप से प्रेरक है, जो जीवन में श्रेष्ठता की खोज कर रहे हैं और विचार तथा व्यवहार के समन्वय से समाज को सकारात्मक दिशा देना चाहते हैं।

यह पुस्तक उन सभी के लिए है, जो जीवन को केवल जीना नहीं, बल्कि उसे सार्थक बनाना चाहते हैं; जो निर्बंध चेतना के पथिक हैं और समाज तथा स्वयं को श्रेष्ठ बनाने की यात्रा पर हैं।

पुस्तक : श्रेष्ठ की अभिव्यक्ति हो लेखक : ओम प्रकाश धनखड़ प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन प्रा. लि., नयी दिल्ली पृष्ठ : 52 मूल्य : रु. 750.

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