डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल द्वारा रचित कविता-संग्रह ‘लड्डू मिठाइयों का राजा’ भारतीय मिठाइयों की रंग-बिरंगी दुनिया को कविता के माध्यम से सजीव करता है। इस अनोखी पुस्तक में 41 पारंपरिक मिठाइयों पर आधारित छोटी-छोटी कविताएं शामिल हैं, जो न केवल स्वाद और परंपरा का सुंदर चित्रण करती हैं, बल्कि इनके पोषक गुणों को भी सरल भाषा में प्रस्तुत करती हैं।
लड्डू से शुरुआत करते हुए जलेबी, रसगुल्ला, रबड़ी, पेड़ा, गुलाब जामुन, गुझिया, गाजर का हलवा, मालपुआ, बालूशाही, रसमलाई, खीर, चूरमा, लापसी, मगज मिठाई, सोहन पापड़ी, कलाकंद, श्रीखंड, मोदक, परवल मिठाई, फिरनी, बेसन लड्डू, गजक, सूजी का हलवा, डोडा, बर्फ़ी, तिल के लड्डू जैसी मिठाइयां एक-एक करके स्वाद, स्मृति और सेहत के ताने-बाने में बुनी जाती हैं।
कविताओं में ‘पोषक तत्व निराले, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले’ (खोये की बर्फ़ी), ‘पाचन में सुधार ये लाते’ (तिल के लड्डू), ‘तन को ऊर्जा यह पहुंचाए’ (सूजी का हलवा), ‘प्रोटीन इसमें है रहता’ (पंतुआ), ‘लोहा, विटामिन-सी लो खाकर’ (परवल मिठाई), ‘कोलेस्ट्रोल न इससे बढ़ता’ (मोदक), ‘त्वचा को भी चमकाए’ (पेड़ा) जैसी पंक्तियां मिठाइयों के पोषण पक्ष को सहज रूप में बच्चों के सामने रखती हैं। दूध-जलेबी से तनाव घटाने की बात हो या लापसी और खीर के माध्यम से पाचन-संवर्धन, हर कविता में ज्ञान और मिठास का सुंदर मेल है।
रंगीन चित्रों से सजी यह पुस्तक दृश्य और भाषिक दोनों स्तरों पर आकर्षक है। सरल तुकबंदी, बालसुलभ शैली और पारंपरिक स्वादों की यह मिठासभरी प्रस्तुति बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक और आनंददायक है, वहीं बड़ों के लिए यह एक भावनात्मक यात्रा है—बचपन की यादों और घर की रसोई की खुशबू से जुड़ी हुई। यह संग्रह, भारतीय खाद्य संस्कृति और स्वास्थ्यबोध का स्वादिष्ट संगम है।
पुस्तक : लड्डू मिठाइयों का राजा कवि : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : उमंग प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 47 मूल्य : रु. 195.