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शब्द-संसार का रंगीन प्रवेशद्वार

पुस्तक समीक्षा
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घमंडीलाल अग्रवाल

कहानी, कविता, लघुकथा, लघुकविता एवं बाल साहित्य जैसी विधाओं में रचना करने वाली रचनाकार डॉ. नीरु मित्तल ‘नीर’ की आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कई संकलनों में भी उनकी रचनाएं संकलित हुई हैं। ‘मेरे वर्णमाला गीत’ उनकी नवीनतम कृति है।

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‘मेरे वर्णमाला गीत’ के माध्यम से रचनाकार ने बच्चों को अक्षर ज्ञान करवाने का प्रयास किया है। उन्होंने वर्णमाला के प्रत्येक वर्ण से चार-चार पद (गीत नहीं) लिखे हैं। आमतौर पर हिन्दी वर्णमाला पुस्तकों में ‘अ’ से अनार, आ’ से आम, ‘इ’ से इमली, ‘ई’ से ईख, ‘उ’ से उल्लू, ‘ऊ’ से ऊन, ऋ’ से ऋषि आदि शब्द ही लिखे गए हैं। लेकिन रचनाकार ने अपनी पुस्तक में इन प्रचलित शब्दों के अलावा हर वर्ण के लिए अलग विकल्प भी दिए हैं। एकबानगी प्रस्तुत है—

ग से गमले में खिला गुलाब

कितनी गाजर है करो हिसाब

ऐनक पहनती गट्टू की गाय

गुनगुन करता भंवरा आ जाय

हिन्दी वर्णमाला में वर्णों की कुल संख्या 49 होती है जबकि पुस्तक में केवल 35 वर्षों का ही वर्णन किया गया है, शेष छोड़ दिए गए हैं। पदों में उचित तुक व लय का अभाव दिखता है। यही नहीं, कुछ अंग्रेजी शब्दों (कैमरा, गिटार, ट्रेन, डांस, टायर, ड्राइविंग, मैचिंग आदि) के प्रयोग से भी बचा जाना चाहिए था।

पुस्तक : मेरे वर्णमाला गीत रचनाकार : डॉ. नीरु मित्तल ‘नीर’ प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर पृष्ठ : 80 मूल्य : रु. 200.

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