सरस्वती रमेश
मुस्कान नंदपुरा गांव में रहती थी। यह एक सुंदर गांव था। गांव के अधिकतर लोगों ने मवेशी पाल रखे थे। वे दिन भर अपने भेड़, बकरियों, गायों को चराने जंगल में जाते। शाम को लौट कर उन्हें द्वार पर बांध देते। गांव में अक्सर रात को बिजली चली जाती। तब पूरे गांव में अंधेरा छा जाता। दिनभर काम से थके होने के कारण लोग गहरी नींद में सो जाते। इधर, कुछ चोरों ने अंधेरे का फायदा उठाया। वे चुपके से आकर द्वार पर बंधे मवेशी चुराने लगे। जब सुबह गांव वालों की नींद खुलती तब उन्हें अपने जानवर द्वार पर बंधे नहीं मिलते। धीरे-धीरे गांव में चोरियां बढ़ने लगीं। अब तो आये दिन ही कोई ना कोई जानवर चोरी होने लगा। कभी किसी की भेड़ तो कभी किसी की गाय। गांव के सरपंच भी चोरों को पकड़ने की कोई तरकीब नहीं सोच पा रहे थे।
मुस्कान अपनी गाय गोरी से बहुत प्यार करती थी। उसे हमेशा गोरी की चिंता सताने लगी। जाने किस दिन चोरों की बुरी नजर गोरी पर पड़ जाए और गोरी अपने खूंटे में बंधी ना मिले। एक दिन मुस्कान ने अपनी सहेलियों-काजल और मीना से कहा, ‘तुम लोगों को तो पता ही है कि गांव में जानवरों की चोरियां कितनी बढ़ चुकी हैं। अगर जल्द ही चोरों को ना पकड़ा गया तो हमारी गायें भी हमसे दूर हो जाएंगी।’ ‘तुम ठीक कह रही हो लेकिन हम तो छोटी लड़कियां हैं। हम भला चोरों से मुकाबला कैसे कर सकते हैं,’ मीना ने लाचारी भरे स्वर में कहा।
‘हमें बस चोरों को रंगे हाथ पकड़ना है। उसके बाद हम शोर मचा देंगे और सारे गांव वाले जाग जाएंगे,’ मुस्कान बोली। ‘वह तो ठीक है लेकिन पकड़ेंगे कैसे?’ काजल ने पूछा। मुस्कान एक बुद्धिमान और समझदार लड़की थी। उसने सोचते हुए कहा, ‘कोई तरकीब लगानी होगी।’
मुस्कान कुछ देर वहीं घूमकर तरकीब सोचने लगी और फिर अचानक से बोली, ‘क्यों ना हम अपने गायों के गले और पैरों में घुंघरू बांध दें। रात को जब चोर उन्हें ले जाने लगेगा तब घुंघरू बज उठेंगे और हमें पता चल जाएगा।’ सभी सहेलियों को यह तरकीब भा गई। काजल बोली हम सब अपने पास एक थाली और चम्मच भी रख लेंगे। चोर के आते ही हम थाली बजा देंगे।
सांझ घिरते ही सभी ने अपने गायों के पैरों और गले में घुंघरू बांध दिए। रात को सभी थक कर गहरी नींद में सो गए। मगर मुस्कान और उसकी सहेलियां जागकर घुंघरू की आवाज पर कान लगाए रहीं। आधी रात बीतते ही अचानक मुस्कान के कान में घुंघरू की छनछन बजने लगी। मुस्कान ने खिड़की से बाहर झांककर देखने की कोशिश। अंधेरा होने के कारण कुछ नजर न आया। तभी काजल ने थाली बजाना शुरू कर दिया। अन्य सहेलियां भी थाली बजाने लगीं। थाली की आवाज सुन लोग जल्दी-जल्दी अपने घरों से बाहर आ गए। कुछ लोगों के हाथ में टॉर्च थी। उन्होंने टॉर्च जला कर रोशनी इधर-उधर डाली। नकाब बंधे दो चोर भागने की फ़िराक में थे। गांव वालों ने उन्हें दौड़ कर पकड़ लिया।
अब तक मुस्कान की सारी सहेलियां भी बाहर निकल आई थी। गांव के सरपंच भी वहां पहुंच गए। मीना ने उन्हें मुस्कान की सारी योजना विस्तार से बताई। गांव की बेटियों की हिम्मत और समझदारी से सरपंच जी बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, ‘शाबाश बेटियों, हमें तुम पर गर्व है।’ उन्होंने मुस्कान और उसकी सहेलियों को उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार देने का ऐलान किया।