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पुस्तकें मिलीं

समीक्षा
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आत्मीय अहसासों का शब्दांकन

डॉ. मंजू वर्मा का काव्य संग्रह ‘तुम अगर होते’ अपने आईपीएस अधिकारी पति को असमय खोने की गहरी टीस की अभिव्यक्ति है। पंजाब विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मंजू ने इन कविताओं के माध्यम से अपने जीवनसाथी से मिलने और बिछड़ने के आत्मीय अहसासों को अभिव्यक्त किया है, जिसमें उनके मिलने, बिछुड़ने और चार दशकों के रिसते दर्द की टीस उकेरी है। उम्र के इस पड़ाव पर उन्होंने उनकी कमी को गहरे से महसूस किया है।

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पुस्तक : तुम अगर होते रचनाकार : डॉ. मंजू वर्मा प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 96 मूल्य : रु. 150.

एकात्मक मानववाद का मंथन

देश की मौजूदा सत्ता की वैचारिकी के आधार पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समाज उत्थान और राष्ट्रवाद को संबल देने के अकथनीय प्रयासों को उजागर करने का प्रयास है पुस्तक ‘दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता’। डॉ. शालिनी शर्मा की इस पुस्तक में दूरदृष्टा उपाध्याय के एकात्मक मानववाद का विशद् विवेचन समाहित है, जो भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक लोकाचार पर आधारित दर्शन को उजागर करता है और जो आर्थिक विकास के साथ आध्यात्मिक उत्थान की आवश्यकता बताता है।

पुस्तक : दीनदयाल उपाध्याय के विचारों की प्रासंगिकता रचनाकार : डॉ. शालिनी शर्मा प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 225.

सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार

दिलबाग अकेला अपने काव्य संग्रह ‘मैं भीड़ हूं’ में समाज में व्याप्त अन्याय और असमानता के दर्द को उजागर करते हैं। वे अपनी रचनाओं में अन्याय के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति करते हैं। वे गरीब और मजबूर के अहसासों को शब्द देते हैं। वे भोगे गए यथार्थ की टीस को बयां करते हैं। रचनाओं में अन्याय की चीख की प्रतिध्वनियां हैं। वे अपने राष्ट्रीय सरोकारों के साथ सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते हैं। रचनाओं में प्रबल जिजीविषा उजागर होती है।

पुस्तक : मैं भीड़ हूं रचनाकार : दिलबाग ‘अकेला’ प्रकाशक : अद्विक पब्लिकेशन, दिल्ली पृष्ठ : 127 मूल्य : रु. 200.

सहमे समय की बात

शिक्षक और रचनाकार जयभगवान यादव का दूसरा काव्य-संग्रह ‘सहमी हुई सी आंखें’ है, जिसमें 102 लघु कविताएं शामिल हैं। इससे पहले उनका ‘मैं इंसान को ढूंढ़ने निकला हूं’ काव्य-संग्रह प्रकाशित हुआ था। प्रत्येक लघु कविता में कोई संदेश निहित है। सहज और सरल शब्दों में गहन अभिव्यक्ति नजर आती है। कवि संवेदनशील ढंग से समाज की विसंगतियों को वक्त की कसौटी पर कसते हैं। वह देश में मानवीय मूल्यों पर आधारित एक आदर्श समाज की जरूरत बताते हैं।

पुस्तक : सहमी हुई सी आंखें रचनाकार : जयभगवान यादव प्रकाशक : आनंद कला मंच प्रकाशन, भिवानी पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 200.

विविध रचनाओं का गुलदस्ता

‘आनंद मार्ग के श्रेष्ठ रचनाकार’ शीर्षक से प्रकाशित विविध रचनाओं का संपादन सोमेश खिंची ने मनोयोग से किया है। समीक्ष्य संकलन में 27 रचनाकारों की कविता, व्यंग्य, लघु कविता, ग़ज़ल, लेख, लघुकथा, कहानी, गीत और समीक्षाएं आदि संकलित हैं। एक पुस्तक में तमाम विधाओं की रचनाओं को एक साथ देखना निश्चय ही सुखद है। विविध रचनाओं से गुजरते हुए एक विधा की एकरसता महसूस नहीं होती। साथ ही रचनाकारों की सृजन की विविधता से भी पाठक रूबरू होते हैं।

पुस्तक : आनंद मार्ग के श्रेष्ठ रचनाकार रचनाकारः सोमेश खिंची प्रकाशक : आनंद कला मंच, भिवानी पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 300. (अ.नै.)

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