Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

संस्मरण और सामाजिक दृष्टिकोण

पुस्तक समीक्षा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

सुरेखा शर्मा

विपिन सुनेजा ‘शायक़’ की पुस्तक ‘ठहरे हुए पल’ एक संस्मरणात्मक संग्रह है, जिसमें लेखक ने अपने जीवन के मधुर और कटु अनुभवों को संवेदनात्मक शब्दों में कागज पर उतारा है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने बचपन से लेकर जीवन के उतार-चढ़ाव तक के अनेक प्रसंगों को बेहद सार्थक और आकर्षक शीर्षकों के तहत प्रस्तुत किया है। इनमें ‘सिम्पल’, ‘जागरण’, ‘तीर्थयात्रा’, ‘वह कौन थी’, ‘शोध’ आदि प्रसंग पाठकों को न केवल रोचक लगते हैं, बल्कि गहराई से सोचने पर भी विवश करते हैं। ये प्रसंग विचारशीलता और आत्ममंथन को भी प्रेरित करते हैं।

Advertisement

लेखक ने अपनी पुस्तक में जीवन के विभिन्न पहलुओं को निष्पक्ष भाव से उजागर किया है, चाहे वह पारिवारिक जीवन हो, सामाजिक अनुभव हो या फिर सरकारी सेवा में बिताए गए समय के रोचक प्रसंग। वह उर्दू शायर नंदलाल ‘नैरंग’ के साथ बिताए अपने अनुभव का भी उल्लेख करते हैं, जो उनके जीवन का एक यादगार पल था। पुस्तक में जीवन के संघर्षों, सुख-दुःख, और बदलावों को बिना किसी संकोच के लिखा गया है, जो पाठक को उनके खुद के जीवन के साथ जोड़ने में मदद करता है। यह पुस्तक पाठकों को आत्मीयता और वास्तविकता का सजीव चित्रण प्रदान करती है।

लेखक का मानना है कि साहित्य सृजन अपने अंदर की भड़ास को निकालने का एक प्रभावी तरीका है। उन्होंने अपनी पुस्तक के माध्यम से समाज की सच्चाइयों और सरकारी व्यवस्था की खामियों पर भी गहरी नज़र डाली है। इस संग्रह में न केवल व्यक्तिगत अनुभवों का विवेचन है, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार और स्वार्थी प्रवृत्तियों पर भी बखूबी प्रकाश डाला गया है। लेखक की लेखनी ने पाठकों को अपने जीवन और समाज की गहरी समझ देने का कार्य किया है।

पुस्तक : ठहरे हुए पल लेखक : विपिन सुनेजा 'शायक़ ' प्रकाशक : समदर्शी प्रकाशन, गाजियाबाद, उ.प्र. पृष्ठ : 108 मूल्य : रु. 200.

Advertisement
×