गोविंद शर्मा
बाल साहित्य की लोकप्रिय विधा बाल काव्य है। भूप सिंह भारती की प्रस्तुत पुस्तक में चौवन गीत है। सभी गीतों का विषय बच्चों के आसपास की दुनिया है। पहला गीत ‘मां’ से शुरू होता है। भारतीय पशु पक्षी, मौसम यथा (सरदी, वर्षा ऋतु) पर भी सरसगीत हैं।
इन्हें गीत कहो या बाल कविता, सरलता सहजता से ओतप्रोत है। और इनमें बच्चों की दुनिया के सभी पात्रों का समावेश करने का सफल प्रयास है ।
पेड़ लगाने की सीख देने वाली बाल कविता ‘धरती की सेहत’ तो ‘योग करो’ स्वयं पाठक की सेहत की सुरक्षा की बात करती है। जब तक धरती पर हिंदी काव्य और मां की ममता रहेगी, चांद के साथ बच्चों का मामा वाला नाता बना रहेगा। चंदा मामा बात सुनो ना/ दूर-दूर से तुम जाओ ना… में बच्चा चांद को अपने पास बुला कर अपने मन की बात चांद को सुनाना चाहता है।’
भारतीयता और राष्ट्रीयता के भावोंवाली कई कविताएं हैं- हम हैं भारत के लाल/ करें देश का ऊंचा भाल.. । कविताएं ज्ञान, सीख, संस्कार और मनोरंजन सभी कुछ दे रही हैं। बाल साहित्य वह साहित्य होता है जिसे प्राप्त करने के लिए जितना खर्च करना पड़ता है, उससे कई गुना अधिक मूल्य का लाभ बचपन को मिलता है।
पुस्तक : बाल गीतांजलि लेखक : भूपसिंह भारती प्रकाशक : शब्दांकुर प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 76 मूल्य : रु. 200.