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श्लोकों में जीवन जीने की कला

नरेंद्र कुमार प्राचीन ग्रंथों की प्रासंगिकता हमेशा रहती है, बशर्ते उनकी व्याख्या समुचित तरीके से की जा रही हो। अनुभव और ज्ञान के भंडार इन ग्रंथों में व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए कल्याणकारी नीति और नियमों का...

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पुस्तक : द आर्ट ऑफ रूल लेखिका : दीपाली वशिष्ठ प्रकाशक : रूपा पब्लिकेशन्स इंडिया, नयी दिल्ली पृष्ठ : 177 मूल्य : रु. 295.
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नरेंद्र कुमार

प्राचीन ग्रंथों की प्रासंगिकता हमेशा रहती है, बशर्ते उनकी व्याख्या समुचित तरीके से की जा रही हो। अनुभव और ज्ञान के भंडार इन ग्रंथों में व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए कल्याणकारी नीति और नियमों का उपयाेगी मूल मंत्र समाहित हैं। मूलत: ये मंत्र श्लोकों के रूप में संदर्भित हैं। ऐसे ही कुछ विशेष श्लोकों को लेकर लेखिका दीपाली वशिष्ठ ने अपनी पुस्तक ‘आर्ट ऑफ रूल’ में सुशासन और राजकाज के विभिन्न पहलुओं को सामने रखने की कोशिश की है। कुल 151 श्लोकों के माध्यम से इस पुस्तक में दी गई ‘शिक्षा’ केवल नीति-निर्धारकों के लिए ही नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए भी हैं।

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दरअसल, ये शिक्षाएं आम आदमी के सफल जीवन के लिए गुरुमंत्र के समान हैं। हर व्यक्ति इन सिद्धांतों को अपनी जिंदगी में अपना सकता है और बहुत कुछ सीख सकता है। यह पुस्तक संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी की त्रिवेणी है। इसमें प्रत्येक श्लोक को उसके मूल संस्कृत रूप में प्रस्तुत किया गया है और उसके बाद हिंदी और अंग्रेजी में अर्थ स्पष्ट किये गये हैं। इसके साथ ही हर श्लोक के अर्थ को समझाने के बाद इससे मिलने वाली शिक्षा के बारे में बताया गया है।

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पुस्तक में वर्णित श्लोकों को प्राचीन ग्रंथों रामायण, महाभारत, ऋग्वेद, कल्हण की राजतरंगिणी, विदुरनीति, भोज प्रबंधन, मनुस्मृति से लिया गया है। पुस्तक को शासन, राजधर्म, धोखे, निर्णय क्षमता एवं कूटनीति, पहले जनता, एकता, आचार-संहिता सहित विभिन्न अध्यायों में विभाजित कर श्लोकों के माध्यम से राजा के आचार, विचार और व्यवहार के बारे में वर्णन किया गया है।

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