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आशंकाओं और विद्रूपताओं का कल्पित परिदृश्य

पुस्तक समीक्षा
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अपने हालिया मराठी उपन्यास ‘कश्मीर-ए-तालिबान 2032’में अनंत जोशी ने कल्पना के आधार पर इस आशंका के चलते लिखा है कि तालिबानी हमलावर अफगानिस्तान को कब्जा कर सकते हैं, तो कल को वे कश्मीर तक भी आ सकते हैं। मराठी में रचा गया यह उपन्यास हिंदी में प्रतिभा धौडरकर ने अनूदित किया है। भौगोलिक और युद्ध संबंधी जानकारी लेखक ने गूगल से जुटाई है। यह रचना इस तरह की गई है कि घटनाक्रम और पात्र बनावटी होते हुए भी वास्तविक दिखाई पड़ते हैं। इसमें देश के प्रत्येक राज्य, वहां के शासन-प्रशासन एवं मंत्रियों समेत समूची भूगोल संबंधी बनावट को हूबहू जीवंत रूप में वर्णित किया गया है। जनवरी, सन‍् 2032 से जनवरी सन‍् 2033 तक बारह महीनों के दौरान कल्पित घटनाओं का ब्योरा लेखक की त्वरित बुद्धि, राजनीतिक सोच और दूरदर्शिता को दर्शाता है।

उपन्यास में दर्शाया गया है कि सत्ता और राजनीति में अक्सर ऐसे लोग हावी हो जाते हैं, जिन्हें राज्य संचालन और इतिहास की समझ नहीं होती। ऐसे उथले नेताओं के कारण राज-काज में पैसे और ताकत का दबदबा बढ़ता जाता है। अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग शासन में हावी होने पर राजनीति नैतिकता के संकट से घिर जाती है। राजनीतिक नेतृत्व में व्याप्त विकृति समाज और देश के लिए बहुत घातक और अनिष्टकर सिद्ध होती है। विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच नफरत की दीवारें खड़ी हो जाती हैं। यही जातीय वैमनस्य बढ़कर युद्ध में तब्दील हो जाता है।

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लेखक के अनुसार पाकिस्तानी अलगाववादी और तालिबानी मिलकर भारत में हिंसा फैलाते हैं और कश्मीर-ए-तालिबान बनाने के लिए फंडिंग के पैसों से नए-नए जिहादी गुट तैयार करते हैं। चीन इन्हें समर्थन करता है। प्रधानमंत्री राजेन्द्र कौल और राष्ट्रीय सुरक्षा उप-सलाहकार बुद्धदेव त्रिताल को मारने का षड्यंत्र रचा जाता है। बाद में आतंकवादी उत्तराखंड के दौरे पर जाते समय प्रधानमंत्री के जहाज को ड्रोन द्वारा बम लगाकर क्रैश करवा देते हैं। खबर सुनकर पूरे देश में अशांति और अस्थिरता फैल जाती है। पूरे देश का वातावरण कलुषित हो जाता है। भाविप और राविप समेत कई राजकीय पक्षों के कार्यकर्ता आक्रामक होकर आगजनी और मारपीट करने लगते हैं। कई जगह दंगे भड़क उठते हैं। सभी राज्यों में हिंसक घटनाएं चरम पर पहुंच जाती हैं।

ऐसे में भारत को दिनों-दिन रसातल की ओर जाते देखकर राष्ट्रपति ने देश के सभी अधिकार अपने हाथ में ले लिए तथा इमरजेंसी लगा दी। कई राज्यों की विधानसभाएं भी भंग कर दी गईं। देश में शांति स्थापित होने पर भारतीय सेनाओं ने कश्मीर को अलगाववादियों से मुक्त करा लिया तथा ‘सफाई’ अभियान के जरिए पी.ओ.के. समेत गिलगित और बलूचिस्तान पर कब्जा जमा लिया। जनवरी, 2033 में हुए चुनाव में राविप ने सत्ता हासिल की तथा महंत सूरजनाथ ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

उपन्यास : कश्मीर-ए-तालिबान 2032 लेखक : अनंत जोशी प्रकाशक : प्रखर गूंज प्रकाशन, दिल्ली पृष्ठ : 259 मूल्य : रु. 480.

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