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साहित्य के पाठकों हेतु अमृत

पुस्तक समीक्षा
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अरुण नैथानी

यह विडंबना ही रही है कि मौजूदा दौर में साहित्यकारों व साहित्यिक संस्थाओं ने हिंदी गद्य की कथेतर विधाओं की अनदेखी ही की है। निर्विवाद रूप से मौजूदा साहित्य में संस्मरण, यात्रा वृत्तांत, आत्मकथा, डायरी विधा, ललित निबंध, रिपोर्ताज आदि गद्य की कथेतर विधाओं की उपस्थिति नाममात्र की रही है। जबकि ये विधाएं हमारे समाज, खासकर नई पीढ़ी को व्यापक अनुभव व ज्ञान प्रदान करती हैं। इसी कमी को पूरा करने के मकसद से प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘साहित्य अमृत’ ने अपने ताजा अंक को इन्हीं कथेतर विधाओं पर केंद्रित किया है।

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अंक में संस्मरण जैसी रोचक व प्रभावशाली विधा पर पठनीय रचनाएं संकलित हैं। यात्रा वृत्तांत के अंतर्गत राहुल सांकृत्यायन की रचना ‘देश ज्ञान’, प्रतिस्मृति में भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचना ‘सरयू पार की यात्रा’, रेखाचित्र के अंतर्गत महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचना ‘महामहोपाध्याय पंडित दुर्गाप्रसाद’, अज्ञेय का रोचक यात्रा-वृत्तांत ‘माझुली’, देवेंद्र सत्यार्थी का रेखाचित्र, ‘गोदावरी, मुझे भूल न जाना’, विष्णु प्रभाकर का संस्मरण ‘महामान्य मदनमोहन मालवीय’, श्रीरामवृक्ष बेनपुरी का रेखाचित्र ‘बुधिया’, रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा के अंश ‘अंतिम समय की बातें’ तथा उद्भट विद्वान डॉ. पीतांबरदत्त बड़थ्वाल का रेखाचित्र ‘स्वर्गीय रामचंद्र शुक्ल’ अंक के विशेष आकर्षण हैं।

साहित्य अमृत संपादक मंडल ने नई पीढ़ी के पाठकों को हिंदी गद्य की इन कथेतर विधाओं की गहनता व महत्व से अवगत कराने के लिये तमाम समकालीन साहित्यकारों की रचनाएं भी अंक में शामिल की हैं। साथ में सभी स्थायी स्तंभ भी शामिल हैं। संपादक लक्ष्मी शंकर वाजपेयी तथा संयुक्त संपादक हेमंत कुकरेती के संपादन में प्रकाशित अंक पठनीय व संग्रहणीय बन पड़ा है।

कृति : साहित्य अमृत संपादक : लक्ष्मी शंकर वाजपेयी प्रकाशक : पीयूष कुमार, आसफ अली रोड दिल्ली पृष्ठ : 264 मूल्य : रु. 150.

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