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कारगिल की खामोश घाटी से उठी आवाज़

पुस्तक समीक्षा
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हेमंत राणा

‘फ्लावर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ़’ अनुभवी युद्ध संवाददाता विक्रम जीत सिंह द्वारा लिखित—1999 के कारगिल युद्ध की मार्मिक और भावनात्मक घटनाओं को दर्शाने वाली एक जीवंत पुस्तक है। लेखक ने अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से पाठकों को न केवल युद्ध के बीचोंबीच खड़ा कर दिया, बल्कि इसे संवेदनाओं और मानवीय पहलुओं से भी जोड़ा है। उनकी प्रभावशाली कहानी कहने की शैली, समृद्ध शब्द भंडार और स्पष्ट भाषा पुस्तक को प्रभावशाली बनाती है।

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सेवानिवृत्त मेजर जनरल राज मेहता द्वारा लिखित प्रस्तावना सैन्य-संग संबद्ध पत्रकारिता के व्यापक परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत करती है— इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सीमाएं और जोखिम—जिससे पाठक लेखक की बहादुरी को सही संदर्भ में समझ पाते हैं। लेखक ने कारगिल युद्ध और कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों के दौरान भारतीय सेना के साथ रहकर जो अनुभव प्राप्त किये, वे इस पुस्तक को अत्यंत रोमांचक बनाते हैं।

बटालिक सेक्टर में भारी गोलीबारी के बीच खालूबर चोटी तक की जीवन को संकट में डालने वाली यात्रा और प्वाइंट 4182 पर पाकिस्तानी सैनिकों के बेनाम शवों के दफनाने का दृश्य में लेखक की उपस्थिति, पुस्तक की शुरुआत से ही पाठकों में जिज्ञासा और हैरानी जगाती है। युद्धभूमि में एक अप्रत्याशित रात बिताना न केवल युद्धग्रस्त सैनिकों की अनसुनी कहानियों को सामने लाता है, बल्कि प्वाइंट 4100 पर बोफोर्स होवित्ज़र तोपों की मदद से फिर से जीतने के लिए चले सफल सैन्य अभियान का भी उल्लेख करता है।

लेखक को 15 कोर मुख्यालय से विशेष अनुमति मिलने के बाद प्वाइंट 4700 तक पहुंचना, युद्ध रिपोर्टिंग में उनकी विशेषज्ञता और सेना के उन पर विश्वास को दर्शाता है। द्रास कैंप से चढ़ाई के दौरान चारों ओर उड़ते गोले उनकी साहसिक यात्रा की गंभीरता को रेखांकित करते हैं। इसी यात्रा के दौरान लेखक ने युद्धक्षेत्र की अल्पाइन घाटियों से फूल चुनना शुरू किया, जिन्हें वे अपनी मंगेतर को प्रेम-पत्रों के साथ भेजते थे— और यही इस पुस्तक के शीर्षक ‘फ्लॉवर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ़’ का मूल भाव बनता है।

प्वाइंट 4912 (15,700 फीट, बाल्टिक सेक्टर) और बाद में प्वाइंट 4875 (मशकोह सेक्टर) पर पाकिस्तानी सैनिकों के सम्मानजनक अंतिम संस्कार की लेखक की आंखों देखी घटनाएं भारतीय सेना की मानवीय सोच को उजागर करती हैं— जो पाकिस्तानी रुख से एकदम विपरीत है। दो दशकों बाद, लेखक फिर से कारगिल की पहाड़ियों में जाकर बताते हैं कि किस प्रकार वीरता की ये कहानियां आज भी युवाओं को मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करती हैं।

यह पुस्तक कारगिल युद्ध के उस चेहरे को सामने लाती है जो अब तक अछूता रहा है — एक ऐसा चेहरा जो न केवल बंदूक और गोलों की गूंज से भरा है, बल्कि फूलों, प्रेम और साहस से भी सराबोर है।

पुस्तक : फ्लावर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ़ लेखक : विक्रम जीत सिंह प्रकाशक : द ब्राउज़र/ फौजी डेज़, जेजीएस एंटरप्राइजेज, चंडीगढ़ पृष्ठ : 240 मूल्य : रु. 495.

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