हर कविता में छोटी कहानी
‘माला के मोती’ जगदीश श्योराण का काव्य संग्रह है, जिसमें उन्होंने सरल और सामान्य भाषा में गहरे विचारों को व्यक्त किया है। इस संग्रह में कुल 70 रचनाएं हैं, जिनमें कवि ने पारिवारिक रिश्तों, किसान की कठिनाइयों, नारी शक्ति और सामाजिक असमानताओं का चित्रण किया है। जैसे हर कविता में एक छोटी-सी कहानी छुपी हो। कविताओं में न केवल समाज की दशा और दिशा पर चिंता दिखाई देती है, बल्कि व्यक्तिगत पीड़ाओं और संघर्षों की गहरी छांव भी है, जिससे पाठक आसानी से जुड़ सकते हैं।
श्योराण ने किसानों के दुखों, व्यवस्था की असमानताओं और स्वार्थपूर्ण राजनीति पर भी करारी चोट की है। उन्होंने अपनी लेखनी से न केवल व्यवस्था की आलोचना की है, बल्कि अराजकता और नासमझी के माहौल को भी महसूस किया है। कवि का यह काव्य संग्रह बहुत ही सजीव और प्रासंगिक प्रतीत होता है, जो हमें हमारे समाज की असलियत से रूबरू कराता है।
यह संग्रह पढ़ते वक्त आपको कभी हंसी आएगी, कभी ग़म और कभी आपके अंदर कुछ बदलने का अहसास भी होगा।
कविता की भाषा सीधी और बोलचाल की है, जिससे पाठक स्वयं को इन कविताओं से जोड़ पाते हैं। ये कविताएं हमारे खुद के विचार और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। एक काव्य संग्रह है जो केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि इन शब्दों में छुपी संवेदनाओं की माला है। हर मोती कुछ न कुछ सिखाता है!
‘माला के मोती’ समाज का आईना है, जिसमें भावनाएं, विचार, संवेदनाएं, सांस्कृतिक जड़ें और परिवर्तन की प्रेरणा गहराई से प्रतिबिंबित होती हैं, जो आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं।
पुस्तक : माला के मोती लेखक : जगदीश श्योराण प्रकाशक : बीएफसी पब्लिकेशन, लखनऊ पृष्ठ : 148 मूल्य : रु. 235.