योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’
हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, गुरुग्राम द्वारा प्रकाशित सुरेखा शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘समीक्षा के विविध आयाम’ में विदुषी लेखिका सुरेखा शर्मा ने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित 75 उन पुस्तक-समीक्षाओं को संकलित किया है, जो उन्होंने पुस्तकों को पढ़कर लिखी थीं और वे कहीं न कहीं प्रकाशित हुई हैं।
इस पुस्तक की भूमिका में समीक्षक प्रो. नरेश मिश्र ने लिखा है ‘श्रीमती सुरेखा शर्मा ने ‘समीक्षा के विविध आयाम’ शीर्षक से अपनी प्रस्तुत पुस्तक में समकालीन चर्चित साहित्यकारों की प्रमुख कृतियों का प्रभावी रूप में विवेचन-विश्लेषण किया है। विदुषी समीक्षक ने शब्द-शक्ति सम्पन्न भावप्रवण पदों और वाक्यों की लयात्मकता से युक्त सुंदर समीक्षा कर अपनी असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया है।’
यह पुस्तक जहां एक ओर बहुत आवश्यक लगी है, वहीं दूसरी ओर, एक साथ हिन्दी और संस्कृत की 75 पुस्तकों की समीक्षा एक साथ पढ़ने का सुयोग भी बन गया, जो दुर्लभ ही है। इसका कारण यह है कि जब सुरेखा शर्मा ने प्राप्त किसी पुस्तक की समीक्षा करके प्रकाशित कराई होगी, तब किसी विद्वान जिज्ञासु पाठक ने अगर नहीं भी देखी होगी, तो अब उसी समीक्षा को इस पुस्तक से पढ़ा जा सकता है।
स्व. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा 1948 में लिखे गए बहुचर्चित उपन्यास ‘भगवान परशुराम’ के पुनर्संस्करण-2012 की समीक्षा पढ़कर हर जिज्ञासु पाठक को सुरेखा की इस पुस्तक की उपयोगिता का ज्ञान सहज ही हो जाएगा। विदुषी सुरेखा शर्मा की समीक्षा-प्रतिभा का एक उदाहरण यहां देना चाहूंगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उनकी समीक्षा वस्तुतः ‘नीर-क्षीर विवेक’ सम्मत होती है—
‘श्रद्धेय ‘मुंशी जी’ द्वारा अनेक पौराणिक पात्रों को लेकर उपन्यास की रचना हुई है। उन्होंने पात्रों की व्यथा-कथा के साथ-साथ उनके ओज, वीरता, अदम्य साहस को अपनी दृष्टि से देखकर अभिव्यक्त किया है। भगवान परशुराम की कथा से थोड़ा-बहुत तो सभी परिचित हैं, पर रचनाकार ने अपने मौलिक चिंतन व दृष्टि के फलस्वरूप उसमें नए रंग भरे हैं।’
नि:संदेह यह पुस्तक हिन्दी की ‘पुस्तक समीक्षा’ की विधा को लोकप्रिय और उपयोगी सिद्ध करने के साथ ही जिज्ञासुओं को 75 श्रेष्ठ कृतियों के विषय में प्रामाणिक जानकारियां देने का एक सशक्त माध्यम भी सिद्ध होगी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सुरेखा ने विगत दस वर्षों में परिश्रमपूर्वक लिखी गई पुस्तक-समीक्षाओं को सुरक्षित रखा है और उनको एक पुस्तक रूप में ‘हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, गुरुग्राम’ ने प्रकाशित किया है।
पुस्तक : समीक्षा के विविध आयाम लेखिका : सुरेखा शर्मा प्रकाशक : हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, गुरुग्राम पृष्ठ : 264 मूल्य : रु. 500.