पुस्तक ‘मुंबई का प्राकृतिक सौंदर्य’ डॉ. हरिश्चंद्र झन्डई का प्रकृति पर आधारित लघु काव्य संग्रह है। सभी लघुकविताएं मुंबई शहर के सावन के मौसम पर केंद्रित हैं। कवि झंडई कहते हैं, मुंबई में सावन की वर्षा विशेष है। बारिश के मौसम में यहां का प्राकृतिक सौंदर्य खिलखिला उठता है। छोटी-छोटी पहाड़ियां और समुद्री किनारे बसा मुंबई शहर अपने आप में निराला है। समुद्र की लहरें, ऊंची-ऊंची उठती तरंगें, जुहू चौपाटी और पाम बीच मुंबई की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
इस संग्रह में लगभग एक सौ लघु कविताएं हैं। ज़्यादातर कविताओं में सावन की मस्ती, वर्षा की बूंदें और हिलोरें लेती समुद्री लहरें बसी हुई हैं, जिन्हें पढ़कर कवि का प्रकृति प्रेम स्पष्ट झलकता है। पहली कविता ‘समुद्र से घिरा मुंबई, दूसरी तरफ़ ऊंचे-ऊंचे पहाड़, इनमें छाई हरियाली, रंग-बिरंगे पक्षी, आकाश में इनकी उड़ान, करते हैं कलरव, ठंडी-ठंडी हवाओं में, कर देते हैं आत्मविभोर सुबह शाम, हो जाता है निराला मौसम, प्राकृतिक सौंदर्य में बसा मुंबई…’ संग्रह के शीर्षक को बखूबी बयान कर रही है। इनके अलावा खूबसूरत हिल स्टेशन मुंबई, मुंबई मौसम, निखरता मौसम, पहाड़ों में घाटियां, सावन की मस्ती, प्रकृति का सावन, प्रकृति के संग, प्रकृति से बढ़कर कुछ नहीं, बादल बरसों रे, बादलों के सावन गीत, सुहावनी हवाएं, आओ झूलें सावन, बरस रहे मेघा, पहाड़ों में छाई हरियाली, जीवन झरने जैसा, सावन में पक्षियों की उड़ान जैसी कई लघु कविताएं हैं, जो पाठकों को प्रकृति के बेहद करीब ले जाएंगी। कवि ने बहुत ही सही कहा है कि ‘देखो प्रकृति को प्यार से, न रहेगी उदासी न रहेगा तनाव।’
कवि ने लघुकविताओं के सृजन में उनके निर्धारित मापदंडों का पूरा ध्यान रखा है। काव्य भाषा इतनी सरल और सहज है कि आम पाठक इनसे आसानी से जुड़कर प्रकृति का आनंद ले सकेगा।
पुस्तक : मुंबई का प्राकृतिक सौंदर्य कवि : डॉ. हरीशचंद्र झन्डई प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर पृष्ठ : 116 मूल्य : रु. 299.

