Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

संवेदनाओं और संबंधों का कथा-संग्रह

पुस्तक समीक्षा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

कहानीकार मनोज कुमार 'प्रीत' के सद्य: प्रकाशित कहानी संग्रह ' समय नहीं है ' में कुल छह कहानियां संकलित हैं । इन सभी कहानियों में मानवीय संवेदनाएं और रिश्ते प्रमुखत: व्याख्यायित हैं। संग्रह की प्रथम कहानी ‘बे-घर’ में कहानी के नायक को विदेश जाकर धनोपार्जन की लालसा इस हद तक अंधा बना देती है कि माता-पिता के त्याग को भुलाकर उनको निरीह अवस्था में छोड़कर विमुख होने में देर नहीं लगाता। वह स्वयं समय के थपेड़े खाकर एक दिन एकाकी रह जाता है और रिश्ते-नाते सब गंवा बैठता है।

निराशा के निबिड़ विपिन में आशा की किरण तथा वियोग में संयोग की अनुभूति होती है, रिश्तों की एक दिल्लगी होती है, जीवन की बुनियाद रिश्ते ही तो हैं - इन्हीं मुद्दों को आत्म-कथ्यात्मक दूसरी कहानी ‘तुम ही हो’ में उठाया गया है। संग्रह की तीसरी कहानी ‘आप, तुम और तू’ के केन्द्र में उपालंभ भाव है। ‘कैसे हृदय चीर दिखाऊं, प्यार की मीठी चुभन’ की भांति नायक-नायिका की मैत्री आप से तुम फिर तू की पराकाष्ठा तक पहुंचकर फिर तू, तुम और आप पर समाप्त हो जाती है।

Advertisement

‘समय नहीं है’ चौथी कहानी में मैत्री में विश्वासघात, उच्च पद पर आसीन होने पर भ्रष्टाचार, राष्ट्रद्रोह के कदाचार में संलिप्त होना, पद के नशे में चूर होकर बचपन के मित्रों को समयाभाव बतलाकर उन्हें उपेक्षित करना, सेवा निवृत्ति के बाद कहानी के नायक का अकेला पड़ जाना आदि घटनाओं को यथार्थता के फलक पर चित्रित किया गया है। ‘स्थाई आवास’ पांचवीं कहानी में दर्शाया गया है कि विदेश जाकर लोग धनोपार्जन हेतु विपरीत परिस्थितियों में भी जूझते रहते हैं। रिश्ते और मानवीय सरोकार खूंटी पर टांग दिए जाते हैं। केवल स्वार्थसिद्धा की नीति वहां का नियम है। सब सुख सुविधाएं उपलब्ध होने पर भी रमिता का कनाडा की नागरिकता ठुकरा कर स्वदेश लौटना उसकी देशभक्ति की पराकाष्ठा का द्योतक है।

Advertisement

संग्रह की अन्तिम कहानी ‘कुशी’ आत्म-कथ्यात्मक है। स्नेह, सत्य, सम्मान और संवेदना पर निर्भर रिश्तों की विमुखता की टीस झेलता नायक उद्विग्न है। वह आस लगाए बैठा है कि जीवन में प्रेम, अहसास, संवेदना और रिश्तों का स्पंदन उसे अवश्य प्राप्त होगा।

सभी कहानियों में कथानक, देश-काल और वातावरण का सामंजस्य है तथा भाषा का प्रवाह निरंतर बना रहता है। वस्तुत: संग्रह की कहानियों में प्रकारांतर से कहानीकार मनोज कुमार ‘प्रीत’ के व्यक्तित्व का आत्म-विश्लेषण ही प्रतिबिंबित होता प्रतीत होता है।

पुस्तक : समय नहीं है लेखक : मनोज कुमार 'प्रीत' प्रकाशक : अमृत बुक्स, कैथल पृष्ठ : 104 मूल्य : रु. 150.

Advertisement
×