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संवेदनाओं और फिल्मांकन का संगम

पुस्तक समीक्षा
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कला व सिनेमा के समालोचक, निर्देशक और लेखक चरणसिंह अमी के पटकथा-संग्रह ‘तू जिंदा है’ में देश-विदेश के लेखकों की रचनाओं पर आधारित छह पटकथाएं हैं। फिल्मांकन के स्पष्ट निर्देशों से युक्त इन पटकथाओं में समाज के विभिन्न पक्षों और विडंबनाओं का चित्रण किया गया है। रोचकता, नाटकीयता, चुटीले और प्रभावशाली संवाद, और सशक्त भाषा इनकी विशेषताएं हैं। विभिन्न रचनाओं में फ्लैशबैक की तकनीक का प्रयोग प्रभावशाली बन पड़ा है। किताब में विदेशी भाषाओं की रचनाओं का रूपांतरण करते हुए उन्हें कुशलता से भारतीय परिवेश के अनुकूल ढाला गया है।

संग्रह की पहली पटकथा प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘पूस की रात’ पर आधारित है। पटकथा में गीतों और काव्य-पंक्तियों का प्रयोग मूल रचना को और अधिक सशक्त बना रहा है। किताब की प्रतिनिधि पटकथा ‘तू जिंदा है’ ज्ञानरंजन की कहानी ‘आत्महत्या’ पर आधारित है। इसका नायक निराशा और हताशा से त्रस्त होकर आत्महत्या का निर्णय करता है। गोरख पांडे, दुष्यंत कुमार, अवतार सिंह पाश, फैज़, शंकर शैलेन्द्र के गीतों और काव्य-पंक्तियों से होते हुए उसके नकारात्मक विचार तिरोहित हो जाते हैं।

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पटकथा ‘उनहार’ गेज़ा गार्दोन्यी की हंगेरियन कहानी पर आधारित है। मिहाली बाबा की हंगेरियन कहानी ‘संडे आफ्टरनून’ पर आधारित पटकथा ‘एक दिन रविवार’ बुजुर्गों के अकेलेपन और बच्चों की बेरूखी को दर्शाती है। लू शुन की चीनी कहानी पर आधारित पटकथा ‘सुखी परिवार’ के नायक लेखन के माध्यम से पैसा कमाने का सपना देखता है। संग्रह की आखिरी रचना मुक्तिबोध की कविता ‘मुझे कदम कदम पर’ पर केन्द्रित है।

पुस्तक : तू जिंदा है लेखक : चरणसिंह अमी प्रकाशक : दीपक पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर पृष्ठ : 112 मूल्य : रु. 325.

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