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जब पराली का सर्वे सैटेलाइट से संभव तो जलभराव का क्यों नहीं : भूपेंद्र हुड्डा

कहा- सरकार तुरंत करवाए स्पेशल गिरदावरी, 70 हजार प्रति एकड़ दे
रोहतक के कलानौर, महम हलके के खेतों में ट्रैक्टर चलाकर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा। -हप्र
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पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जब पराली जलाने का सर्वे सरकार सैटेलाइट से करा लेती है तो जलभराव का क्यों नहीं करवा रही है, इससे साफ है कि सरकार पोर्टल का बहाना बना रही है और स्थिति यह है कि कई जगहों पर तो पोर्टल न चलने की शिकायतें आ रही हैं। पूर्व सीएम ने कहा कि बाढ़ से किसानों का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है और सरकार को तुरंत स्पेशल गिरदावरी करवा कर प्रति एकड़ 70 हजार रुपये मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भले ही इस बार बारिश थोड़ी सी अधिक हुई है, लेकिन सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं किये थे और लोगों का अपने हाल पर छोड़ दिया।

रविवार को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कलानौर व महम हलके के गांवों में पहुंचकर जलभराव की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नाकामी के चलते बाढ़ व जलभराव की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। लोगों को तुरंत मदद और मुआवजे की आवश्यकता है। लेकिन नुकसान की स्पेशल गिरदावरी करवाने की बजाय एक बार फिर सरकार ने लोगों को पोर्टल के हवाले कर दिया है। इस व्यवस्था के चलते किसी भी आपदा से पीड़ित 90 प्रतिशत लोगों को मुआवजा ही नहीं मिल पाता। जो इक्का-दुक्का किसानों को मिलता है, उसमें भी कई-कई महीने लग जाते हैं। इसलिए कांग्रेस और तमाम पीड़ितों की मांग है कि पोर्टल के झंझट छोड़कर सीधे किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाई जाए। किसानों के साथ खुद ट्रैक्टर चलाकर महम और कलानौर हलके के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे हुड्डा ने कहा कि खेतों में खड़ी पूरी फसल तो बर्बाद हुई ही है और जलभराव को देखते हुए, आने वाली फसल की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही। इसलिए किसानों को कम से कम 60-70 हजार रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों के मकानों, दुकानों व अन्य इमारतों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी मुआवजा देना चाहिए। इस दौरान विधायक बलराम दांगी, विधायक शकुंतला खटक, विधायक बीबी बतरा मौजूद रहे।

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समय रहते नहीं करवाई नहरों की सफाई : पूर्व सीएम

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने न वक्त रहते नहरों की सफाई की गई और न ही शहरों में सीवरेज की, न ही तटबंधों को मजबूत किया गया और ना ही जल निकासी के लिए कोई रास्ता बनाया गया। यही वजह है कि बारिश शुरू होते ही गली, सड़कें, गांव, शहर और खेत, सब तालाब में तब्दील हो गए। यानी ये बाढ़ सिर्फ प्रकृति की मार नहीं है, बल्कि इसके लिए बीजेपी सरकार का नकारापन भी जिम्मेदार है। ये तो हरियाणा और पंजाब के लोगों का जज्बा है जो एक दूसरे मदद कर रहे हैं।

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