धान की सीधी बिजाई में खरपतवार की समस्या, उत्पादन प्रभावित
सफीदों, 1 जून (निस)
केंद्र सरकार के विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देश के 65000 गांवों तक कृषि तकनीक की नवीनतम जानकारी देने, किसानों की आय में बढ़ोतरी दर्ज कराने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाने, कृषि उत्पादन लागत को कम करने के लक्ष्यों के साथ आयोजित कार्यक्रम के तहत रविवार को सफीदों उपमंडल के 6 गांवों भिड़ताना, लुदाना, भम्भेवा, गांगोली, मोरखी व भागखेड़ा में विशेष शिविरों का आयोजन किया गया।्
इन शिविरों में कृषि वैज्ञानिकों एवं अन्य विभागों के अमले ने किसानों का मार्गदर्शन किया। सफीदों के आधा दर्जन इन गांव में आयोजित आज के शिविरों में किसानों ने सीधी बिजाई की धान में खरपतवार की समस्या का मामला उठाया। किसानों का कहना था कि धान की सीधी बिजाई (डीएसआर पद्धति) में खरपतवार की समस्या गंभीर हो जाती है जिससे उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होता है।
इस पर उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बासमती धान की 1509 किस्म की धान की संशोधित वैरायटी 1985 तथा 1121 किश्म की नवीनतम संशोधित वैरायटी 1979 है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि इन दोनों ही नवीनतम किश्मों में खरपतवार अपेक्षाकृत कम पैदा होता है और सुझाई गईं दवाओं के प्रयोग से खरपतवार नष्ट हो जाएगा। धान की फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा।
पशुपालन विभाग ने पशुओं को रोगों से बचाव के लिए वैक्सीनेशन को जरूरी बताया। वहीं, मत्स्य विभाग ने किसानों को 60 प्रतिशत तक अनुदान की मत्स्य पालन योजनाएं बताई। शिविरों में बताया गया कि साइकिल, रिक्शा या तिपहिया वाहन पर मछली बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं को भी विभाग की तरफ से 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
उपमंडल कृषि अधिकारी सुरेश गुप्ता के अनुसार इस योजना में सफ़ीदों के कुल 17 गांवों में शिविर आयोजित होने हैं जिनमे 2 जून को पिल्लूखेड़ा, धडोली, भुराण, कालवा, कलावती व खरक गागर तथा 10 जून को ढाटरथ, जामनी, बनियाखेड़ा, रिटोली व मोहम्मदखेड़ा गांवों में ऐसे शिविरों का आयोजन किया जाएगा।