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चुनाव हारे हैं, लड़ाई नहीं, जनता के हितों की जंग रहेगी जारी: भूपेंद्र हुड्डा

अनिल शर्मा/निस रोहतक, 9 नवंबर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चुनाव हारे हैं, लड़ाई नहीं हारे है, जनता के हितों को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस के 37 विधायक...

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पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा। फाइल फोटो
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अनिल शर्मा/निस

रोहतक, 9 नवंबर

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि चुनाव हारे हैं, लड़ाई नहीं हारे है, जनता के हितों को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस के 37 विधायक मजबूती से आवाज उठाएंगे। आज डीएपी खाद को लेकर किसान परेशान हैं और जब थानों में खाद बंटने लग जाए तो इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में किसानों की क्या स्थिति होगी है।

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शनिवार को पूर्व सीएम हुड्डा अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। हुड्डा ने कहा कि एक महीने में ही भाजपा के झूठे दावों की पोल जनता के सामने खुल चुकी है। पूत के पांव पालने में दिखाई देने लगे हैं। मौजूदा सरकार ने अभी तक केवल दो ही काम किए हैं, किसानों को खाद मिलता नहीं और एमएसपी सरकार देती नहीं। हालात यह हो चुके हैं कि मांग का 50 प्रतिशत खाद भी जिलों में नहीं पहुंचा है। डीएपी को लेकर इतनी मारामारी है कि थानों में इसे बंटवाना पड़ रहा है। वहीं, धान की फसल एमएसपी से 300-400 रुपए कम में बिक रही है। पूर्व सीएम ने कहा कि भाजपा 10 वर्ष में भी खाद का उचित प्रबंधन नहीं कर पाई है। कृषिमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि खाद की कोई किल्लत नहीं है। यदि किल्लत नहीं है तो फिर क्यों किसानों को पूरी-पूरी रात लाइन में लगना पड़ रहा है और थानों के अंदर खाद बंटवाई जा रही है। महिलाओं को घर-खेत छोड़कर खाद लेने के लिए आना पड़ रहा है। हुड्डा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वायु प्रदूषण के लिए पूरी तरह से पराली जलाने को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। किसानों का तो एक छोटा सा रोल है। छोटे किसानों के सामने पराली प्रबंधन बड़ी चुनौती है। सरकार का फर्ज बनता है कि फसल की तरह एमएसपी तय करके पराली खरीद की जाए और उससे खाद, बिजली या अन्य उत्पाद बनाए जाए।

आलाकमान करेगी नेता प्रतिपक्ष का निर्णय

नेता प्रतिपक्ष बनाने के सवाल पर पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायकों ने नाम तय करके हाईकमान को दिए हुए हैं। हमें लगता है कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान इस पर फैसला ले सकती है। यह हाईकमान के ऊपर निर्भर करता है। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक प्रदेश की समस्याओं को लेकर आवाज उठाएंगे।

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