महम में जलभराव से गेहूं की बिजाई संकट में, किसान सभा कल देगी धरना
महम क्षेत्र में जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भैणी चंद्रपाल, सैमाण, भैणी सुरजन और आसपास के कई गांवों की सैकड़ों एकड़ खेत पिछले चार-पांच महीनों से पानी में डूबे हैं। बारिश का मौसम...
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महम क्षेत्र में जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भैणी चंद्रपाल, सैमाण, भैणी सुरजन और आसपास के कई गांवों की सैकड़ों एकड़ खेत पिछले चार-पांच महीनों से पानी में डूबे हैं। बारिश का मौसम खत्म हो चुका है, फिर भी खेत तालाब में बदल गए हैं और किसान गेहूं जैसी महत्वपूर्ण फसल की बिजाई नहीं कर पा रहे।किसानों ने बताया कि पिछले फसल मौसम में भी जलभराव की वजह से नुकसान हुआ था। प्रशासन द्वारा लगाए गए मोटर पंप समय पर काम नहीं आए और कई जगह तो बंद पड़े रहे। कुछ किसानों ने अपने स्तर पर अतिरिक्त पंप लगवाए, लेकिन उससे केवल मामूली हिस्से का ही पानी निकाला जा सका। ग्रामीणों ने कहा कि सड़कों की स्थिति भी खराब हो गई है, जिससे फसल और जीवन दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार ने गिरदावरी और मुआवजे का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक किसी किसान को राहत नहीं मिली। अधिकारियों ने मौके पर आकर एक सप्ताह में पानी निकालने का भरोसा दिया, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए गए। बार-बार शिकायत के बावजूद डीसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। किसान सभा ने प्रभावित गांवों का दौरा कर समस्याओं को सामने रखा और प्रशासन की उदासीनता पर रोष जताया।
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उन्होंने 12 दिसंबर को महम तहसील में धरना-प्रदर्शन का निर्णय लिया है। सभा का कहना है कि वे मुआवजे की तुरंत वितरण, स्थायी जलनिकासी व्यवस्था और जलभराव के मुद्दे पर ठोस कार्रवाई की मांग करेंगे। किसान सभा का यह भी कहना है कि अब प्रशासन की अनदेखी के चलते आंदोलन के माध्यम से ही अपनी आवाज बुलंद करनी पड़ेगी, क्योंकि किसानों का धैर्य और उनकी फसल दोनों खतरे में हैं।
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