अक्षय तृतीय पर बाल विवाह रोकने को प्रशासन ने पाठियों, ग्रंथियों, पंडितों से की बैठक
मदन लाल गर्ग/हप्र
फतेहाबाद, 16अप्रैल
इस बार अक्षय तृतीय 30 अप्रैल को है। परंपराओं के अनुसार इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए देश में इस दिन सबसे अधिक शादियां होती है। विडंबना है कि इस दिन बाल विवाह भी सबसे ज्यादा होते हैं, जो कि सामाजिक अपराध के साथ-साथ कानूनी अपराध भी है, तथा इसके लिए सजा का प्रावधान है।
अक्षय तृतीय पर बाल विवाह रोकने के लिए प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। इसके लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी रेखा अग्रवाल मंदिरों, गुरुद्वारों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर गुरुद्वारे के ग्रंथियों, पाठीयों व विवाह संस्कार करवाने वाले ब्राह्मणों से बैठक कर रही हैं। बैठक में रेखा अग्रवाल सभी को आगाह कर रही हैं कि बाल विवाह सम्पन्न करवाने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी मुकद्दमा दर्ज कराया जाता है।
उनका कहना है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत शादी सम्पन्न करवाने वाले व्यक्ति के अलावा शादी में सम्मिलित सभी को दोषी माना जाता है। लड़की की आयु 18वर्ष से कम होने पर किए विवाह को भी वेध नहीं माना जाता, तथा ऐसी दशा में लड़के के खिलाफ पोक्सो एक्ट के साथ बलात्कार का मामला भी दर्ज हो सकता है। रेखा अग्रवाल का कहना है सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण बच्चे नाबालिग होते हुए गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। जिस कारण सामाजिक रुसवाई से बचने के लिए पेरेंट्स नाबालिगों का ही विवाह कर देते हैं।