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जीवन में समय-प्रबंधन के साथ समय-लेखा भी आवश्यक : ऋषिपाल

गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार (गुजविप्रौवि) के मनोविज्ञान विभाग में आत्महत्या निवारण दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। समय-प्रबंधन विषय पर हुई इस कार्यशाला में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर...
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गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार (गुजविप्रौवि) के मनोविज्ञान विभाग में आत्महत्या निवारण दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। समय-प्रबंधन विषय पर हुई इस कार्यशाला में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ऋषिपाल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। प्रो. ऋषिपाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में केवल समय-प्रबंधन ही नहीं, बल्कि समय-लेखा भी अत्यंत आवश्यक है।

समय एक अमूल्य संसाधन है, जिसे पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ही उपयोग में लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवावस्था विकास और आनंद, दोनों का संगम है। अत: युवाओं को चाहिए कि वे समय का लेखा-जोखा रखते हुए समय-अपव्ययी कार्यों को पहचानें और अपने कीमती समय को सार्थक कार्यों में लगाएं। जीवन की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करके उसी दिशा में समय का सदुपयोग करना चाहिए। मुख्य वक्ता ने युवाओं को जीवन को उत्सव की भांति जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि दुख जीवन का स्वाभाविक अंग हैं, किंतु हम अपने श्रेष्ठ कार्यों और उचित प्राथमिकताओं से उन्हें नियंत्रित कर सकते हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. संजय परमार ने की।

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कार्यशाला का समापन डॉ. पूनम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। मंच संचालन भूमिका व मेघा ने किया। इस अवसर पर डॉ. मंजू रानी, डॉ. तरूणा, डॉ. स्नेहा, डॉ. अन्चा, डॉ. गोविन्द यादव, डॉ. गौरव, डॉ हिमांशु तथा कुमारी गुुंजन भी उपस्थित रहे।

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