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जच्चा के लिए पौष्टिक आहार का बजट ही उपलब्ध नहीं

सीएचसी अलेवा में खुली स्वास्थ्य विभाग की जननी सुरक्षा योजना की पोल
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जसमेर मलिक/ हप्र

जींद, 12 मई

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केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं के लिए बजट मुहैया न होने का नुकसान गर्भवती महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। सोमवार को जींद जिले के अलेवा गांव की सीएचसी में एक महिला को बच्ची को जन्म देने के कई घंटे बाद भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से भोजन नहीं मिल सका। एक जच्चा को इसके लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी। मामला सिविल सर्जन के नोटिस में आया तो उन्होंने इसका संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने की बात कही। केंद्र और प्रदेश सरकार गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं। इसी के तहत किसी सरकारी चिकित्सा संस्थान में किसी महिला की डिलीवरी होने के बाद उसे दूध और कुछ देर बाद पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है। डिलीवरी के बाद महिला को दूध और पौष्टिक आहार मुहैया करवाना उस सरकारी चिकित्सा संस्थान के प्रभारी की जिम्मेदारी है। इसके लिए 100 रुपए की राशि मंजूर की गई है। जींद जिले में हालत यह हो गई है कि इस मद में बजट का पिछले काफी समय से जबरदस्त अभाव है।

बताया गया है कि अलेवा गांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिले के गोहियां गांव की एक महिला को डिलीवरी के लिए दाखिल करवाया गया था। बच्ची को जन्म देने के बाद महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की तरफ से दूध तो दे दिया गया, लेकिन डिलीवरी के कई घंटे बाद भी उसे पौष्टिक आहार नहीं दिया गया। भोजन के नाम पर उसे पांच रुपए का बिस्किट का पैकेट थमा दिया।

सिविल सर्जन ने कहा

सिविल सर्जन डॉ सुमन कोहली ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी के बाद महिला को तुरंत पौष्टिक आहार मिलना चाहिए था। इसकी व्यवस्था सरकार ने की हुई है। अगर बजट की कोई दिक्कत थी, तो दूसरी मद से भोजन मंगवाया जाना चाहिए था। मामला गंभीर है। इसकी जांच होगी और जांच के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

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