गौच्छी सरकारी स्कूल में भय के साये में शिक्षा की पाठशाला
इस कंडम बिल्डिंग के पांच कमरे और बरामदा प्राइमरी स्कूल और 10 कमरे हाई और सीनियर सेकंडरी स्कूल के थे। पीडब्ल्यूडी विभाग ने भवन को कंडम घोषित करने के दौरान अपने पत्र में 10 जमा 3 कमरों का हवाला दिया जबकि कंडम भवन में कुल 15 कमरे थे। इस तकनीकि खामी की वजह से न तो इस जर्जर हाल भवन की बिल्डिंग को गिराया जा सका और न ही इसकी नीलामी की जा सकी। छात्र और शिक्षक बताते हैं कि अक्सर जहरीले जानवरों को इन कंडम भवन में रेंगते हुए देखा जा सकता है। उनका यह भी कहना है कि कई बार विभाग और उच्चाधिकारियों को इस बिल्डिंग को गिराने और यहां साफ-सफाई के लिए लिखा भी जा चुका है लेकिन अभी तक सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाए है।
क्षेत्र की सामाजिक संस्था ग्लोबल इको प्रोटेक्शन ट्रस्ट से जुड़े एडवोकेट श्यामफुल भारद्वाज ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए शिक्ष विभाग के साथ-साथ जिला उपायुक्त को भी अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि यदि इस कंडम भवन को गिराकर यहां पर साफ-सफाई करा दी जाए तो निश्चित तौर पर यहां प्रांगण में हरे-भरे पेड़ पौधे काफी अधिक मात्रा में लगाए जा सकते हैं। इससे पर्यावरण और साफ-सुथरा माहौल भी शिक्षा से जुडे़ लोगों को मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस मामले में संज्ञान नहीं लिया गया तो राजस्थान के झालावाड़ स्कूल जैसी घटना इस गौच्छी गांव के सरकारी स्कूल में घट सकती है।
यह बोले स्कूल के प्राचार्य
मैंने पिछले दिनों ही स्कूल का कार्यभार संभाला है। वैसे तो यह बिल्डिंग साल 2018 में कंडम घोषित की जा चुकी है। कंडम भवन में जहरीले जानवर होने की वजह से छात्रों में थोड़ा भय तो बना रहता है। फिर भी हम सभी इस मामले में सावधानी बरत रहे है। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। - विरेन्द्र अहलावत, प्राचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गौच्छी