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‘जै सुख तै चाहवै जीवणा तो भोंदू बण के रह’ नाटक का मंचन, दर्शक हुए लोटपोट

मंच पर कलाकारों ने हास्य-व्यंग्य संवादों से किया मंत्रमुग्ध नगर के बाल भवन में खुला थिएटर में रविवार को बंजारा सांस्कृतिक संस्था का बहुचर्चित हरियाणवी हास्य नाटक ‘जै सुख तै चाहवै जीवणा तो भोंदू बण के रह’ का मंचन...
रेवाड़ी के बाल भवन में आयोजित नाटक में प्रस्तुति देते कलाकार। -हप्र
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मंच पर कलाकारों ने हास्य-व्यंग्य संवादों से किया मंत्रमुग्ध

नगर के बाल भवन में खुला थिएटर में रविवार को बंजारा सांस्कृतिक संस्था का बहुचर्चित हरियाणवी हास्य नाटक ‘जै सुख तै चाहवै जीवणा तो भोंदू बण के रह’ का मंचन किया गया। हास्य-व्यंग्य संवादों और कलाकारों की जुगलबंदी ने दर्शकों को देर रात तक ठहाकों और तालियों से गूंजते खुले थियेटर में बांधे रखा। यह संस्था का 74वां मंचन था।

राष्ट्रीय नाट्य उत्सव में सर्वश्रेष्ठ हास्य नाटक का खिताब पाने वाले इस नाटक ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। मायानगरी मुंबई में नाटक की हीरक जयंती (डायमंड जुबली) से पूर्व रेवाड़ी के दर्शकों के लिए इस नाटक का मंचन किया गया था।

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मंचन में विशेष रूप से बिल्डर त्रिलोक शर्मा, श्री श्याम सेवा समिति के चेयरमैन रामकिशन अग्रवाल, एमपी गोयल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के संयोजक पुरेंद्र जगदीश गोयल, उद्योगपति एस.के. कालरा, सुधीर यादव, जगमोहन गुप्ता समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। फिल्म और कला क्षेत्र के वरिष्ठ कलाकारों ने भी नाटक का आनंद लिया। सभी ने कलाकारों को उत्साहवर्धन किया।

विजय भाटोटिया द्वारा लिखित और निर्देशित इस नाटक में राजनीतिक घोटालों, जातिवाद, दिशाहीन शिक्षा व्यवस्था और मानसिक विकृतियों पर चुटीले व्यंग्य प्रस्तुत किए गए। सूत्रधार और मास्टर की भूमिका में गोपाल शर्मा वशिष्ठ तथा भोंदू के रूप में खूबराम सैनी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को खूब हंसाया। सहायक कलाकारों ने भी उम्दा अभिनय और संवाद कौशल से दर्शकों को मोहित किया।

विजय भाटोटिया, ऋषि सिंहल, विनोद शर्मा, सत्यप्रकाश, राजेश जोली, पंकज वर्मा, योगेश कौशिक, रविंद्र, मयंक सैनी, हिमांशु, देवेंद्र, सन्नी, रजनी, राहुल समेत अन्य कलाकारों ने नाटक में शानदार योगदान दिया। गीत-संगीत के लिए विपिन सुनेजा व सत्यवीर नाहडिय़ा ने उत्कृष्ट प्रस्तुति दी, जबकि ध्वनि, प्रकाश और संगीत संयोजन में राजवीर राजू, विक्रांत सैनी और राघव की भूमिका सराहनीय रही। नाटक ने दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी और खुला थियेटर हंसी और तालियों से गूंजता रहा। निर्देशक विजय भाटोटिया ने सभी अतिथियों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया।

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