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टीचिंग व नॉन टीचिंग एसो. ने रंगोत्सव का जताया विरोध, कुलपति को भेजा ज्ञापन

रोहतक, 5 मार्च(हप्र) महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ और गैर शिक्षक संघ ने कुलपति पर आर्थिक संसाधनों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। दोनों संगठनों ने होली पर किए जाने वाले कार्यक्रम रंगोत्सव का जोरदार विरोध करते हुए...

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रोहतक, 5 मार्च(हप्र)

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ और गैर शिक्षक संघ ने कुलपति पर आर्थिक संसाधनों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। दोनों संगठनों ने होली पर किए जाने वाले कार्यक्रम रंगोत्सव का जोरदार विरोध करते हुए इसे तुरंत बंद करने की मांग की है। वहीं, बागवानी के पौधों की खरीद तथा सलाहकारों की नियुक्तियों को लेकर कुलपति को कटघरे में खड़ा किया है। कुलपति को भेजे ज्ञापन में एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि विगत कुछ वर्षों में हर बार होली के पावन त्योहार से पहले महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय को हुड़दंग का अड्डा बना दिया जाता है। विश्वविद्यालय के अलावा शहर के सारे हुड़दंगी इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। पिछले साल शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों ने बड़ी ही मशक्कत से विश्वविद्यालय की बनी बनाई छवि बचाई थी।

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दूसरा, यह रंग बहार, रंग तरंग, रंग सर्जन इत्यादि नाम के कार्यक्रम विश्वविद्यालय के आर्थिक संसाधनों को खराब करने के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अगले 15 दिन में कोई भी गलत माहोल विश्वविद्यालय में बनता है, अनहोनी होती है और विश्वविद्यालय प्रशासन इन कार्यक्रमों की इजाजत देता है तो सीधे तौर पर विश्वविद्यालय प्रशासन ही दोषी होगा।

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महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रधान डॉ. विकास सिवाच एवं गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रधान अनिल मल्होत्रा ने कहा है कि एक और तो विश्वविद्यालय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर बागवानी के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यही नहीं अपने चहेतों को सलाहकारों के पद पर नियुक्त किया हुआ है जो बिना किसी कार्य के हर महीने लाखों रुपये वेतन ले रहे हैं। वहीं, सेवानिवृत्ति के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनेक शिक्षकों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों को दो दो साल तीन-तीन साल से मकान दे रखे हैं। उनसे ना तो लोक निर्माण विभाग के हिसाब से किराया वसूला जाता जिससे विश्वविद्यालय को लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है, इसे तुरंत मकान खाली कराए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत ही इन सभी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वह अगला कदम उठाने पर मजबूर होंगे।

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