त्याग, तपस्या और सेवा से ही सफलता : बीके सुमित्रा
स्थानीय प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज की शाखा सिद्धि धाम में त्याग, तपस्या और सेवा पर आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान शाखा प्रमुख राजयोगिनी बीके सुमित्रा बहन ने कहा कि त्याग, तपस्या और सेवा ये ध्यात्म के अभिन्न अंग हैं। मनुष्य इनको अपनाकर ही अध्यात्म की पहली कड़ी को अपनाता है। सबसे पहले मनुष्य को ये तीनों चीजें अपनानी होगी तभी वे अध्यात्म में कामयाब हो सकता है। ये तीनों ही व्यक्ति को आंतरिक रूप से पवित्र और चरित्रवान बनाते हैं। बाबा कहते हैं, त्याग, तपस्या और सेवा का भाव सफलता की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि हम तपस्या के बल से विकारों का त्याग करते हैं तो विकारों की मिश्र धातु पिंघल जाती है और जो प्रकट होता है वह असली सोना होता है। त्याग, तपस्या और सेवा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और ये सभी मिलकर व्यक्ति को सफलता के पथ पर ले जाते हैं। इन तीनों के माध्यम से व्यक्ति आत्म-सुख पाता है और दूसरों को भी सुख प्रदान करता है, जिससे एक बेहतर और परिवर्तनशील विश्व का निर्माण होता है। इस अवसर पर बीके आरती बहन, बीके पूनम, बीके मिनाक्षी, बीके सुषमा, बीके नीलम, बीके शारदा, बीके कविता, बीके सुनील, बीके मनोज, मीडिया कोऑर्डिनेटर बीके धर्मवीर सहित अनेक ब्रह्मावत्स उपस्थित रहे।