केंद्र से चलते हैं राज्य सरकारों के ऑफिस : बीरेंद्र सिंह
बोले- 2014 भाजपा से पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी
हरदीप श्योकंद/निस
उचाना, 25 मार्च
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का जन्मदिन राजीव गांधी महाविद्यालय में मनाया गया। इस मौके पर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ही राज्य सरकार के ऑफिसों को चला रही है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री का ऑफिस का विकेंद्रीकरण करने की बजाय केंद्रीयकरण किया गया है। सिर्फ हरियाणा की बात नहीं है। 2014 में भाजपा सरकार आने से पहले यह व्यवस्था नहीं थी। प्रधानमंत्री का ऑफिस ही देश को चला रहा है। जहां शक्ति का विकेंद्रीकरण होना था वहां पर केंद्रीयकरण हो रहा है।
उन्होंने निशाना साधा कि भाजपा वाले कहते हैं ट्रिपल इंजन सरकार है लेकिन यहां तो एक ही इंजन है। दूसरा भी नहीं है। जब केंद्र से देश की सरकार चलेगी तो आप कैसे स्वीकार कर सकते हो कि म्यूनिसिपल कमेटी काम करेंगी। भाजपा ट्रिपल इंजन की बात करती है वह तो खाली इंजन है। उसमें तो तेल ही नहीं है। जो खट्टर की भूमिका थी वही नायब सैनी की भूमिका है। दोनों सरकारें बराबर हैं। कोई परिवर्तन है। हमारी सामाजिक व्यवस्थाओं को बिगाड़ने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि किसानों का मामला न हरियाणा का है न पंजाब का। किसान की लड़ाई देश की लड़ाई है। सभी किसान यूनियनों को यह निर्णय लेना चाहिए कि सबसे पहले तो एक होकर लड़ें। किसान को अपनी लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर एक होकर लड़नी पड़ेगी।
मासूम शर्मा गाने पर प्रतिबंध पर उन्होंने कहा कि गाने को बंद करना और किसी राजनीतिक बात की वजह से बंद करना यह गलत है।
विपक्ष का नेता बने या न बने, संगठन बनना जरूरी
विपक्ष के नेता बनने वाले सवाल पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हाईकमान के ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। विपक्ष का नेता बने या न बने, यह कोई बड़ी बात नहीं है। हरियाणा के अंदर संगठन बनना बहुत जरूरी है। हिसार हवाई अड्डे पर उन्होंने कहा कि डायरेक्टर जनरल सिविलाइजेशन है। उनकी कलम से अभी यह नहीं हुआ कि यह इंटरनेशनल एयरपोर्ट की शक्ल देखें।
बदली बर्थडे केक की परिभाषा
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणा की संस्कृति में चूरमा होता है। हमने बर्थडे केक की परिभाषा को बदल दी है। हमने चूरमा स्पेशल परांठे से बनवाया है। हमारी संस्कृति की एक झलक आगे आए, ऐसा प्रयास किया गया। चूरमा का प्रचलन हो इसकी शुरुआत की है।
